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आडवाणी बीज हैं , नरेंद्र मोदी उस का फल

लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न क्या मिला , कई सारे पके-अधपके फोड़े फूट गए हैं। इन फोड़ों का बदबूदार मवाद , ऐसे बह रहा है जैसे नाबदान में सीवर का पानी।

हाय ! हम क्यों न हुए खुशवंत !

खैर बात यहां हम खुशवंत सिंह की कर रहे हैं। वह खुशवंत सिंह जो खुद को संजय गांधी का पिट्ठू कहता था। पर क्या सचमुच ही वह पिट्ठू था किसी का? मुझे तो लगता है कि खुशवंत सिंह अगर किसी एक का पिट्ठू…

अयोध्या में राम मंदिर में भीड़ अब कभी कम होने वाली क्यों नहीं है?

करोड़ों लोग तो भीड़ कम होने की प्रतीक्षा ही कर रहे हैं । और अभी रामनवमी आने वाली है जो इस बार ऐतिहासिक होगी । रामनवमी की भीड़ में सरयू पर पीपे का पुल मैंने बचपन में टूटते हुए देखा है । आज से…

वामपंथी लेखकों से अब विमर्श करना, दीवार में सिर मारना है

इस्लामिक कट्टरपंथ से , कठमुल्लों से भी ज़्यादा कट्टर वामपंथी लेखक हो चले हैं। बल्कि कट्टरपंथ से भी बड़ा इन का अहंकार होता है। हिमालय से बड़ा अहंकार। तो इन से विमर्श करना सिर्फ़ और सिर्फ़ वक्त…