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अज्ञेय : फिर कहां से तुम ने विष पाया और कहां से सीखा डसना?

कहे अनकहे ढेर सारे महिला प्रसंगों के बावजूद सचमुच न जाने क्यों जीवन में अज्ञेय सचमुच अज्ञेय ही थे। सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

संदेशखाली ममता की नफ़रत का प्रतीक क्यों बन गया है

तृणमूल ने भारत भर में रोहिंग्याओं, आतंकियों, घुसपैठियों, तस्करों को प्रवेश देने हेतु इस क्षेत्र को सुरक्षित “इंडिया गेट” बनाया हुआ है। संदेशखाली की इस घटना की पृष्ठभूमि में यह संदेश भी है कि…

अगर हम क्रांतिकारियों के यशोगान के मुक़ाबले ग़द्दारों के लिए शर्मिंदगी महसूस करते और…

गाँधी को कितना भी उलाहना दें मुल्क में इतने ग़द्दारों के रहते कोई क्रांतिकारी आंदोलन सफल होना संभव ही न था । रास्ता गाँधी का ही सही था ।

मार्क्स और डार्विन

"जैसे डार्विन ने जैविकी की अंदरूनी प्रक्रियाओं की खोज करके उनमें एक अनुक्रम स्थापित किया था, उसी तरह से मार्क्स ने हमें बताया था कि इतिहास मनुष्यों के जीवन का यांत्रिक संकलन भर नहीं है,…