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अगर कोई पार्टी सेक्यूलर होने का ढोंग करती है या मुस्लिम वोट की तलबगार है तो जस्ट चिल…

राहुल गांधी राजनीतिज्ञ हैं , संपादक नहीं । तो कांग्रेस या कोई भी सेक्यूलर होने का ढोंग करने वाली , मुस्लिम वोट की तलबगार पार्टी अगर ओसामा जी , मसूद अज़हर जी कहती है तो जस्ट चिल । आदर देंगे…

क्या ज़ेलेंस्की इतिहास में बहादुरी और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में जाने जायेंगे ?

देश पराजित भी होते हैं समर्पण भी करते हैं लेकिन उनका मखौल नहीं उड़ाया जाता कि यदि समर्पण ही करना था तो इतने लोगों को क्यों मरवाया ?

मौज मस्ती के महापर्व होली पर ही विदा हो गया मौजमस्ती, हंसी ठहाकों का…

सतीश कौशिक की इन भूमिकाओं को लोग आज भी याद करते हैं। यह उस दौर की बात है जब कादर खान, शक्ति कपूर की जोड़ी हास्य के नाम पर अश्लीलता फूहड़ता भोंडेपन की सारी हदें पार कर रही थी। इन सारी विकृतियों…

तमिलनाडु में नेता या अभिनेता भाषावादी राजनीति में अपनी राजनीतिक रोटियां क्यो सेकते…

तमिलनाडु के लोगों को समझ जाना चाहिए यह पेरियार वादी राजनीति हमेशा से खतरनाक रही है यह पहले अमीर और गरीबों को लड़ाएगी, जातिवाद में लड़ाएगी और अंत में जब कुछ नहीं मिलेगा तब भाषा के आधार पर…

कैसे-कैसे कारनामे किए हैं सिसोदिया ने!

ईडी ने आज सिसोदिया को फिर से गिरफ्तार किया है। यह अपने आप में एजेंसियों के कॉन्फिडेंस की बात है। इतने बड़े जोखिम में सिसोदिया को उनके अंजाम तक पहुंचा देना तय है।

बड़के साबजी बहुत गुस्सा मे है कि सरकार ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति जल्दबाजी में क्यों…

अगर सरकार एक बार सुझाये नामों से सहमत नहीं है तो कॉलेजियम को उन्हें बदलना चाहिए...ये कैसी तानाशाही है कि आप दोबारा वही नाम भेजेंगे क्योंकि वो सरकार को मानने ही होंगे। आप सरकार पर डंडा नहीं…

राहुल गांधी के बयान को विवाद का विषय मानने के बजाय विमर्श का विषय क्यो मानना चाहिए?

राहुल गांधी क्या बोलते हैं, के बजाय क्यों बोलते हैं, इस पर बिल्कुल अलग तरीके के विमर्श की आवश्यकता है। विवाद मानने से हल नहीं हो सकता।

कुतर्की और नफरत के शिलालेख लिखने वाले जहरीले लोगों के विमर्श में फंसने से कृपया बचें

तुलसीदास ने रामचरित मानस हिंदी में नहीं अवधी में लिखी है। अवधी जुबान है रामचरित मानस की। और कि किसी भी अवधी वाले से , अवधी जानने वाले से पूछ लीजिए कि अवधी में ताड़न शब्द का अर्थ क्या है ? वह…