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औरंगज़ेब ने कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि ये मस्जिदें वापस ली जाएंगी

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:राजकमल गोस्वामी:
काशी विश्वनाथ मंदिर औरंगज़ेब ने तुड़वाया था, इस पर तो कोई विवाद ही नहीं है । स्वयं मुस्लिम मानते हैं कि किसी राजपूत रानी के अपहरण के कारण इसे तोड़ने की आज्ञा गई । सारे पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू मंदिर पर टिकी हुई है । पीछे की दीवार तो ज्यों की त्यों रखी गई है, जिस पर मस्जिद का गुंबद टिका है! आधे अधूरे मंदिर पर मस्जिद बनाने का उद्देश्य भी इस्लाम का ख़ौफ़ हिंदुओं के दिल में भरना था ।

औरंगज़ेब ने कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन हिंदुस्तान से इस्लामी हुकूमत ख़त्म हो जायेगी और तब ये मस्जिदें वापस ली जायेगी ।

मंदिर पर जितना अधिकार पुजारियों का होता है उससे कहीं अधिक भक्तों का होता है । पुजारियों के किसी कृत्य के कारण भक्तों को पूजा से वंचित नहीं किया जा सकता ।

मूल काशी विश्वनाथ मंदिर जब ध्वस्त किया गया तब नंदी जो मंदिर के बाहर मंदिर की ओर मुँह करके स्थापित था वह टूटने से बच गया । तब से यह नंदी अनवरत मस्जिद की ओर मुँह करके अपने स्वामी की प्रतीक्षा कर रहा है ! नंदी की प्रतीक्षा अब समाप्त होने को है !

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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