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औरंगज़ेब न सिर्फ़ हिंदुस्तान पर कलंक बन कर उपस्थित था बल्कि मनुष्य विरोधी भी था

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
हे औरंगज़ेब के पैरोकारों , औरंगज़ेब में अगर आप को अपना पुरखा दीखता है तो सीधे घोषित कर दीजिए। अपना बाप मान लीजिए। किसी को कोई ऐतराज नहीं है । आप को लगता है कि वह आप का नायक है तो बता दीजिए। हां, मैं यहां यह ज़रूर कहना चाहता हूं और पूरे आदर और सम्मान के साथ कहना चाहता हूं और कि मुझे कहने दीजिए कि हां ए पी जे अब्दुल कलाम हमारे पुरखे हैं , हमारे नायक हैं । मुझे उन पर गर्व है । कृपया आप लोग भी अपने प्रिय औरंगज़ेब के लिए यह और ऐसे ही गर्व के साथ कहने का साहस दिखाएं। बिना किसी इफ और बट के । लेकिन बगलें नहीं ही झांकें । और न ही मूर्खता के सागर में डूब कर कुतर्क के फंदे रचें । ठीक ?

सुन लीजिए कि औरंगजेब न सिर्फ़ हिंदुस्तान पर कलंक बन कर उपस्थित था बल्कि मनुष्य विरोधी भी था । सिखों के गुरु , गुरु तेग बहादुर और उन के तीन साथियों का सिर कलम करना कौन भूल सकता है ? गद्दी के लिए अपने भाईयों के कत्ल करने , ताजमहल बनवाने वाले अपने पिता शाहजहां को कैद करने वाले औरंगज़ेब को इतिहास में कत्ले आम और लूट पाट के लिए जाना जाता है । तमाम सारे पाप , कुकर्म और अपराध उस के खाते में दर्ज हैं । अपनी वसीयत में औरंगज़ेब खुद लिख गया है :

बुराइयों में डूबा हुआ मैं गुनहगार, वली हज़रत हसन की दरगाह पर एक चादर चढ़ाना चाहता हूँ, क्यूंकि जो व्यक्ति पाप की नदी में डूब गया है, उसे रहम और क्षमा के भंडार के पास जाकर भीख माँगने के सिवाय और क्या सहारा है। इस पाक काम के लिए मैंने अपनी कमाई का रुपया अपने बेटे मुहम्मद आज़म के पास रख दिया है। उस से लेकर ये चादर चढ़ा दी जाय।

सेक्यूलरिज्म और इस्लाम की चादर बिछा कर उस के पाप और मनुष्य विरोधी होने के अपराध को ढंकने का अपराध मत कीजिए ।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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