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जयंती सरदार पटेल की पर गुणगान जिन्ना का?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
समाजवाद का एक पीढ़ी यदि धर्मद्रोही हो जाए, तो अगला पीढ़ी निश्चित ही राष्ट्रद्रोही होगा। एक धर्मद्रोही पिता के पुत्र से और क्या ही अपेक्षा की जा सकती है। धर्म से विमुख व्यक्ति, परिवार या संगठन कभी राष्ट्र का नहीं हो सकता। जिस जिन्ना ने पूरी कोशिश की कि अखंड भारत को कभी आजादी ना मिले, उस जिन्ना का ‘आजादी में अहम योगदान’ बताना आज का असल समाजवाद है।

आखिरकार एक राष्ट्रवादी से कोई समाजवादी लड़ कैसे सकता है। समाज और धर्म को राष्ट्र से विलग कैसे किया जा सकता है। फिर तो स्वभाविक है राष्ट्रवाद का विरोध करने के लिए धर्मद्रोह और राष्ट्रद्रोह दोनों ही करना पड़ेगा। समाजवादियों की एक पीढ़ी मुलायम सिंह यादव ने रामभक्तों पर गोली चला कर धर्मद्रोह किया और राष्ट्रद्रोह के लिए अब अखिलेश यादव की जिम्मेवारी है।

जिस इस्लाम में देश का कोई कांसेप्ट नहीं है, उसमें किसी देश की आजादी का मूल्य कैसे हो सकता है? उम्मा का कांसेप्ट है इस्लाम में। इसलिए कोई मुसलमान देश की आजादी के लिए लड़ नहीं सकता। हां देश में इस्लामिक सत्ता स्थापित करने के लिए अथवा देश को काटकर विभाजित कर देने के लिए कोई मुसलमान अवश्य लड़ सकता है। यही जिन्ना ने किया। इसलिए जिन्ना का गुणगान राष्ट्र के विभाजन का गुणगान है। जो कि समाजवादियों के लिए राष्ट्रद्रोह नहीं बल्कि समाजवाद की एक नई जिम्मेदारी है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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