अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष मनेगा, संयुक्त राष्ट्र ने दी मंजूरी
भारतीय कदन्न अनुसंधानं संस्थान, हैदराबाद में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया 5 सुविधाओं का लोकार्पण
Positive India:Delhi;25 September2020.
भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), हैदराबाद के प्रशासनिक भवन, पौष्टिक अनाज नवोन्मेष केंद्र, स्टार्टअप्स हेतु खाद्य प्रसंस्करण सुविधा, फसल उन्नयन कार्य क्षेत्र तथा अतिथिगृह का लोकार्पण केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने गांव-गरीब-किसानों की समृद्धि पर फोकस करते हुए कृषि के क्षेत्र में कई नए आयाम जोड़े है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष (इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स-2023)” घोषित किया है।
तोमर ने कहा कि सरकार ने एमएसपी में अनेक फसलें शामिल की हैं। राज्यों के आग्रह पर दलहन-तिलहन खरीदने की भी व्यवस्था की है। छोटे-छोटे किसान मिलकर एक बड़ी ताकत बन सकें, उनकी उत्पादन क्षमता व गुणवत्ता बढ़ सकें, इस दृष्टि से दस हजार नए एफपीओ बनाने का अभियान चल रहा है, जिस पर 6850 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। बीते छह महीने में एक करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के दायरे में लाया गया है। ढाई करोड़ किसानों को इस साल में केसीसी दिलाने का प्रधानमंत्री जी का संकल्प है। इस दिशा में सभी विभाग व एजेंसियां लगातार प्रयास कर रहे हैं। खेती के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर काफी होने के बावजूद असंतुलन दूर करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत एक लाख करोड़ रू. का एग्री इंफ्रा फंड घोषित कर इसकी शुरूआत भी कर दी है। नए रिफार्म्स की दृष्टि से ट्रेड बिल व कांट्रेक्ट फार्मिंग के बिल लाए गए, जिन्हें संसद ने भी मंजूरी दे दी हैं, इनसे किसानों की जीवन में बड़ी तब्दीली आने वाली है। इन सबके मद्देनजर अनुसंधान संस्थानों जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। सरकार निश्चय ही किसानों की आमदनी दोगुनी करने में सफल होगी।
तोमर ने कहा कि कदन्न (ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सावां तथा चेना) का मानव जीवन में बहुत महत्व है। ये फसलें पौष्टिक अनाज हैं। आज हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर ही नहीं, अधिशेष हो गए है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ये पौष्टिक फसलें उपेक्षित नहीं हो, ये फसलें भी किसानों की आमदनी का स्त्रोत बनें। इनका निर्यात बढ़े, इस पर भी काम किया जा रहा है। आज इन फसलों की प्रोसेसिंग बढ़ी है। नए स्टार्टटअप्स को भी सरकार मदद कर रही है। पिछले वर्ष में 160 तरह के नए बीज विकसित किए गए हैं, जिनका लाभ किसानों को मिल रहा है। कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र, फसल विज्ञान प्रभाग के डीडीजी डा. तिलक राज शर्मा, आईआईएमआर के निदेशक डा. विलास ए. तोणापी भी मौजूद थे। नीतिगत सहायता (एडवोकेसी) एवं कदन्न मिशन : आईआईएमआर वर्ष 2018 से पांच वर्षों के लिए 14 विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का नेतृत्व कर रहा है। प्रारंभ में यह मिशन केवल खाद्य सुरक्षा पर ही कार्यरत था, बाद में इसमें पोषण सुरक्षा को भी जोड़ दिया गया। इसके अंतर्गत खेती को प्रोत्साहन, बीज केंद्रों (हब) का निर्माण, किसानों को बाजार से जोड़ना आदि शामिल हैं।