किसान आंदोलन की आड़ में भारत विरोधी गैंग और देशद्रोहियों की गहरी साजिश
किसान आंदोलन की आड़ में देशद्रोही साजिश को जानिए समझिए।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
चीन और पाकिस्तान के हमले के खिलाफ तैयार भारत की सेना की कमर को रेल, सड़क और संचार व्यवस्था ध्वस्त कर के पहले ही तोड़ देने की इस देशद्रोही साजिश को जानिए समझिए…
ध्यान से पढ़िए…
देश और दिल्ली से जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाले सड़क व रेल मार्ग को तथाकथित किसान आंदोलन की आड़ में जाम कर के बैठे गुंडे कोई किसान नहीं बल्कि भारत विरोधी गैंग के गुंडे और दलाल हैं।
लेह लद्दाख कश्मीर में तैनात लाखों भारतीय सैनिकों की रसद, दवाइयां और उन तक गोला बारूद हथियार की सप्लाई पिछले एक महीने से रेल-सड़क मार्ग जाम कर के इन देशद्रोही गुंडों ने रोक रखी है।
सरकार फ़िलहाल हवाई जहाज से फौजियों तक यह सामान पहुंचा रही है। लेकिन यह व्यवस्था काम चलाऊ है। सीमा पर तैनात लाखों सैनिकों के लिए यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। लेकिन इन देशद्रोही गुंडों ने अब जियो के लगभग डेढ़ हजार मोबाइल टॉवर ध्वस्त कर दिए हैं और आगे करते जा रहे हैं। यह एक भयानक साजिश है जिसके तहत पाकिस्तान से लगी सीमा वाले पंजाब में संचार व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त किया जा रहा है। पंजाब की कांग्रेसी सरकार इसे खुला समर्थन कर रही है।
भारतीय सेना की रेल-सड़क सम्पर्क और संचार व्यवस्था को पूरी तरह काट कर चीन और पाकिस्तान की तरफ से होने वाले किसी भी हमले की स्थिति में भारतीय सेना को पूरी तरह लाचार और लचर स्थिति में पहुंचा देने की भयानक तैयारी कर रहे हैं ये देशद्रोही गुंडे। क्योंकि नए कृषि कानून और किसान आंदोलन से भारतीय सेना के जवानों या जियो की मोबाइल फोन सर्विस का किसी भी प्रकार का कोई लेना-देना दूर दूर तक नहीं है।
कृपया ये सन्देश देश के हर नागरिक तक पहुंचाने में अपनी पूरी शक्ति और सामर्थ्य झोंक दीजिए। वर्ना बहुत गम्भीर और भयानक परिणाम देश को भोगने पड़ेंगे।
इन देशद्रोही गुंडों को खुलकर अपना समर्थन और सहयोग दे रहे राजनीतिक गिरोहों के इस देशघाती चरित्र और चेहरे के खिलाफ जनता को खुलकर जागरूक करिए।
इन देशद्रोही गुंडों द्वारा मीडिया विशेषकर न्यूज चैनलों के साथ मिलकर किसानों के नाम पर बिछाए गए इस भारत विरोधी इमोशनल ब्लैकमेल के जाल को काटने में सरकार लगी हुई है। इसमें हमारा आपका योगदान भी अब बहुत जरूरी हो गया है।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)