अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-2020 का पूर्वावलोकन कार्यक्रम आयोजित:. सीएसआईआर
आईआईएसफ-2020 में अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान साहित्य महोत्सव-विज्ञानिका को प्रमुख कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जाएगा
Positive India :Delhi; Dec 03, 2020.
भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समारोह (आईआईएसफ-2020) का आयोजन 22 से 25 दिसंबर तक वर्चुअल तरीके से किया जाएगा। वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर यह अपने किस्म का सबसे बड़ा विज्ञान महोत्सव होगा। इस वर्ष समारोह का मुख्य विषय “आत्मनिर्भर भारत और विश्व कल्याण के लिए विज्ञान” है। इस समारोह के दौरान 9 समानान्तर रूप में 41 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। आईआईएसएफ-2020 इनमें से पांच कार्यक्रमों की प्रविष्टियां गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के लिए पांच अलग-अलग श्रेणियों में भेजने का प्रयास करेगा। आईआईएसएफ-2020 के आयोजन की देख-रेख करने वाले राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान (एनआईएसटीएडीएस) ने 1 दिसंबर 2020 को विज्ञान संचार एंव सूचना स्रोत संस्थान (एनआईएससीएआईआर) के साथ मिलकर पूर्वावलोकन समारोह का आयोजन किया।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विज्ञान भारती (विभा) के अध्यक्ष डॉ. विजय पी. भटकर ने अपने संबोधन में क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान को संप्रेषित करने की आवश्यकता पर बल दिया, और कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है और जिसमें कई तरह की भाषाएं, संस्कृति और धर्म हैं। उन्होंने कहा कि आईआईएसफ को विज्ञान की भाषाई विविधता और सांस्कृतिक विविधता के लिए भी जाना, जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएसएफ का कारवां बढ़ रहा है और हमें विश्वास है कि हम समाज के हर वर्ग तक पहुंचने की चुनौती को पूरा करेंगे।
विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री जयंत सहस्रबु्द्धे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान को एक उत्सव की तरह मनाए जाने से इसे बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आईआईएसफ-2020 में 40 से अधिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई है। उम्मीद है, लोग न केवल इसे समझेंगे बल्कि विज्ञान को अपने जीवन के एक अनिवार्य अंग के रूप में अपनाने की कोशिश करेंगे।
पूर्वावलोकन कार्यक्रम में आईआईएसफ-2020 की मुख्य समन्वयक और सीएसआईआर-एनआईएसटीएटीडीएस और सीएसआईआर-एनआईएससीएआईआर की निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल ने कहा कि पहले आईआईएसएफ का आयोजन वर्ष 2015 में किया गया था। इसके बाद से यह आयोजन एक लंबा सफर तय कर चुका है। उन्होंने कहा कि आईआईएसएफ-2020 में इस बार आयोजित होने वाले विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम स्कूल और कॉलेज के छात्रों के अलावा सभी को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देंगे।
आईआईएसफ-2020 का सबसे बहुप्रतीक्षित आयोजन, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए पांच प्रमुख कार्यक्रमों को आयोजित किया जाना होगा। इसमें वर्चुअल साइंस फेस्टिवल भी शामिल है जो सभी पांच दिनों चलेगा। इसमें प्रतिदिन लगभग 2,000 प्रतिभागियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। 22 दिसंबर को 5,000 छात्रों द्वारा लाइट, शैडो और टाइम डिवाइस मेकिंग रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जाएगा। 23 दिसंबर को लगभग 30,000 छात्र ऑनलाइन माध्यम से हाथों की साफ-सफाई का पाठ सीखने का प्रयास करेंगे। चौथा आयोजन 24 दिसंबर को होगा जहां लगभग 30,000 छात्र सुरक्षात्मक मास्क लगाने और ऑनलाइन शपथ लेने का रिकार्ड बनाने की कोशिश करेंगे। कार्यक्रम के अंतिम दिन 35,000 छात्र पोषण और स्वास्थ्य का पाठ पढ़ायेंगे।
आयोजन समिति के समन्वयक डॉ. विपन कुमार ने पूर्वावलोकन कार्यक्रम में आने वाले सभी गणमान्य लोगों का स्वागत किया। सीएसआईआर-एनआईएससीएआईआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मोनिका जग्गी ने 22-24 दिसंबर 2020 को आयोजित किए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय विज्ञान साहित्य महोत्सव- विज्ञानिका के बारे में विस्तृत जानकारी दी। आईआईएसएफ की प्रचार टीम की समन्वयक डॉ. संध्या वाडिकर ने आईआईएसफ के दौरान आयोजित किए जाने वाले अन्य कार्यक्रमों के बारे में बताया।
आईआईएसफ में व्याख्यान, वेबिनार, वाद-विवाद, पैनल चर्चा, पोस्टर प्रस्तुति, अध्ययन प्रस्तुति, प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और आभासी दौरे जैसी कई गतिविधियां होंगी। इस दौरान आयोजित होने वाले 41 कार्यक्रमों में से 33 के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसमें ओवरसीज मिनिस्टर्स एंड डिप्लोमैटिक कान्क्लेव, एस एंड टी कॉन्क्लेव तथा भारत में विज्ञान शिक्षा और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भागीदारी नामांकन और सीधे आमंत्रण के माध्यम से होगी। अन्य कार्यक्रमों के लिए खुले तौर पर पंजीकरण होंगे। पंजीकरण के लिए आवदेन आईआईएसफ 2020 की वेबसाइट https://www.scienceindiafest.org/#/home के माध्यम से किया जा सकता है।
कार्यक्रम की मुख्य गतिविधि के रूप में सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी), हैदराबाद ने इसके महत्व को उजागर करने और जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए 1 दिसंबर, 2020 को राष्ट्र के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय पर एक पूर्वावलोकन कार्यक्रम का आयोजन किया।
डॉ. शेखर सी. मांडे, महानिदेशक, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर ने अध्यक्षीय भाषण दिया और कहा कि लोग विभिन्न विज्ञान-आधारित संस्थानों में हुई प्रगति के बारे में जानने के इच्छुक हैं। इस संबंध में, उन्होंने कहा कि 2018 में लखनऊ में आयोजित आईआईएसएफ में 8 लाख लोग आए थे जो यह दर्शाता है कि अनुसंधान प्रयोगशालाओं में किए जा रहे कार्यों को जानने के लिए जनता उत्सुक है और इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम आम लोगों के लिए शोध कार्य प्रदर्शित करें। शून्य की खोज का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि हमारी उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, पृथ्वी विज्ञान विभाग, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ प्रमुख वैज्ञानिक निकाय जैसे कि विज्ञान भारती ने पिछले पांच वर्षों में इस कार्यक्रम को बड़ी सफलता के साथ आयोजित किया है।
सीएसआईआर-आईआईसीटी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और विज्ञान भारती, तेलंगाना के महासचिव डॉ.रामानुज नारायण ने बताया कि इस विज्ञान महोत्सव के दौरान छात्रों, शिक्षकों, व्यापारियों, उद्योगपतियों, स्थानीय कारीगरों, शोधकर्ताओं, संगीतकारों, वैज्ञानिकों, गृहिणियों और आम आदमी जैसे सभी हितधारकों की बड़े पैमाने पर भागीदारी को ध्यान में रखते हुए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.अप्पाराव पोडिले ने कहा कि बेसिक साइंस को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए छात्रों में स्कूली स्तर पर ही विज्ञान के प्रति रुचि पैदा की जानी चाहिए। भारतीय विज्ञान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय से विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान देता आया है। हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति ने देश को दुग्ध उत्पादन, मुख्य फसलों और समुद्री उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया है। यह सब हमारी वैज्ञानिक पहलों के कारण संभव हुआ है इसके लिए हम किसी पर निर्भर नहीं रहे। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस और इसके इस्तेमाल करने के तरीके, रोबोटिक आटोमेशन और वर्चुअल रियलटी जैसी चीजें देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाओं में विकसित की गई हैं। कोविड महामारी से इन संस्थानों के सामूहिक प्रयासों से ही निबटा जा रहा है। महज दस महीनों में हमने इस विषाणु का मुकाबला करने के लिए टीका लगभग तैयार कर लिया है। ऐसे प्रयास दुनिया के अन्य देशों में बमुश्किल दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि नैनो मेडिसीन, सिंथेटिक जिनोम सेल, प्राकृतिक उत्पादों के सिंथेसिस जैसे कई कार्य हमारे वैज्ञानिक संस्थानों में चल रहे हैं जो देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मदद पहुंचा रहे।
सीएसआईआर-आईआईसीटी के निदेशक डॉ. एस चंद्रशेखर ने अपने स्वागत भाषण में सभी से महामारी के नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करने और मास्क पहनने व सार्वजनिक समारोहों से बचने का आग्रह किया।
सीएसआईआर पूर्वोत्तर विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-एनइआईएसटी ), जोरहाट ने भी आईआईएसएफ-2020 के पूर्वावलोकन समारोह का आयोजन वर्चुअल मोड में किया।