Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
पुनः एक इतिहास मे खोये हुए क्रांतिवीर को आप लोगो को उसके बलिदान से अवगत कराता हू । इस देश की तारीफ करनी होगी, फाईव स्टार जेल मे स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ने वाले महान सेनानियो से पूरा देश अवगत है । पर जिन लोगो ने असहनीय तकलीफ पाई और फिर शहीद भी हो गये; पर देश उनसे अपरिचित है । शायद राजनीति के बाजारवाद से अपरिचित थे जो शहीद हो गए। उनका परिवार अपरिचित और मुफलिसी के सहारे रहा । पर जिन लोगो ने उंगली मे भी खरोंच आने नही दी, उनसे पूरा देश परिचित है। वहीं वो लोग आज तक उसका खा भी रहे है ।
आज सेल्यूलर जेल के एक और क्रांतिकारी से देश उसके बलिदान के बारे मे जरूर विचार करेगा । शहीद मोहन किशोर नामदास से मै भी अंजान था, पर वहाँ जाने के बाद ही जानने का मौका मिला। फिर ऐसा लगा कि लोगो को भी इस शहीद के बारे मे जानना चाहिए । मोहन किशोर नामदास सुपुत्र राज गोविंद नामदास, निवास सराचर बजीतपुर मैमन सिंह बंगाल के थे । वे अनुशीलन पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे । उन्हे तत्कालीन अंग्रेजो के शासन ने नेत्रकोना सोआरी कांड एक्शन कांड मे सात वर्ष की कालापानी की सजा हुई । यही कारण है अंग्रेजो के नजर मे हर क्रांतिकारी उनके लिए कांटा था । इसीलिए कांटें से मुक्ति के लिए अंग्रेजो ने वो हर रास्ता अख्तियार किया जिससे कोई इस मार्ग पर चल न सके । पर इनका सोचना गलत निकला । उतने ही क्रांतिकारी पैदा हो जाते थे । यही कारण है कि अंग्रेज अपने बर्बरता से बाज नही आते थे । इसलिए उनके खिलाफ 1933 के भूख हड़ताल पर उन्होंने भाग लिया । जेल अधिकारीयो द्वारा उनकी भूख हड़ताल तुड़वाने के लिए बर्बरता पूर्वक खाना खिलाने के प्रक्रिया मे 26 मई सन 1933 को देश के लिए शहीद हो गए । देश के इस शहीद को भावपूर्ण श्रद्धापूर्वक नमन ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर