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पीओके मुद्दे पर विपक्षी दलों के पेट में दर्द का विश्लेषण

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज इस विषय पर मुझे दूसरे बार लिखना पड़ रहा है । पहले वाला आलेख पोस्ट करते समय डीलिट हो गया । खैर पुनः लिख रहा हूँ । पर वो बात शायद न आ पाये । कोरोना के मामले में पाकिस्तान ने पीओके को त्रुटिवश भारत का हिस्सा बताया है । हमारे देश के मीडिया ने उसे लपक लिया और लंबी चौड़ी बहस भी कर डाली गई । पाकिस्तान के वक्ताओं की तो बोलती बंद हो गई है । ऐसे ही एक पोस्ट मैंने भी डाली । यह बात तय है पीओके को लेकर पाकिस्तान मे भी एक भय व्यापत है । वही भारत की संसद ने भी पीओके को भारत का हिस्सा बताया है और प्रस्ताव भी पास कर रखा है ।

पाकिस्तान को अभी तक इस तरह की सरकार की उम्मीद नहीं थी । पिछले सरकारों ने “जाने दो” की नीतियो में ही काम किया । प्रतिरोध किस चिड़िया का नाम है यह उन्हें नहीं मालूम था । इसलिए भारत को परेशान करने में उन्हें कोई परेशानी भी नही थी । यही कारण है कि पाकिस्तान ने शहीद हेमराज का सर धड़ से अलग कर लौटाने का दुःसाहस किया । उसी तरह उसने सरबजीत के शव को लौटाया । उसे मालूम था कि यहां के हुकमरान कड़ी निंदा, भर्त्सना और चेतावनी जैसे सजे शब्दों से ही प्रतिकार करेंगे और कुछ नहीं करेंगे । ऐसे मे कोई क्यो डरने लगे ? यही कारण है कि मुंबई जैसे आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे दिया । क्या कर लिया? हमारे तत्कालीन गृहमंत्री तो सूट बदलने में ही वयस्त होकर चैनल में इंटरव्यू दे रहे थे । यह तो संवेदनहीनता थी । जिसकी बहुत आलोचना भी हुई । वहीं हमारे शासक जब आतंकवादियों के मारे जाने पर आंसू बहाते हो तो फिर हमारे आतंकवाद से लड़ने के इच्छा शक्ति को उजागर करता है । ऐसे हालात में तो पाक की तो पौ बारह हो गई । जब देखो देश में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने में वयस्त हो गया । पता नहीं कितने लोग मारे गये । पर हमारी सरकार ने क्या किया ? भर्त्सना तथा कड़ी चेतावनी देकर इतीश्री कर लिया ।

यही हाल हमारे 1971 के शिमला समझौते के समय भी देखी गई । हमने उनके नब्बे हजार सैनिकों को तथा जीती हुई जमीन वापस कर दी पर उसके बदले हमारे पैंतालीस बंदी सैनिकों को वापस नहीं लिया गया । कई बार इन सैनिकों के परिजनों ने सरकार से मांग रखी। वही कई चैनलों ने युद्धबंदियो के समाचार भी चलाया, पर उनहोंने नहीं लौटाया । शायद कुछ सैनिक तो अब जीवित न हो वही कुछ सैनिक तो प्रताड़ना से विक्षिप्त हो गए; ऐसे समाचार भी आये हैं । यह तो हमारी विदेश नीति थी । यही आदत पाक को लगी हुई थी, पर सरकार बदलने से तेवर भी उनको महसूस होने लगा । यही कारण है कि अभिनंदन को बंदी बनाने के बाद पाकिस्तान को अड़तालीस घंटे के अंदर अभिनंदन को बाईज्जत उन्हे बाघा बार्डर पर छोड़ना पडा । मालूम था, नही छोड़ते तो ईंट से ईंट बजा दी जाती । यही वो पाक है जहां कोई सैनिक गया तो जीवित नहीं लौटता था।

मोदी जी ने पाक पर एयर स्ट्राइक कर देश के तेवर से परिचित करा दिया । यही कारण है कि पीओके के मामले में पाक चिंतित है । वहां पर (पीओके )जब लोगों के हाथों में तिरंगा और कुछ लोगों के हाथों में भारतीय जनता पार्टी का झंडा दिखाई देता है ,तो जितना चिंतित पाक नही है, उससे ज्यादा चिंतित तो हमारे यहां का विपक्ष है ।

नक्शे में पाक ने पीओके को दिखाया तो हमारे यहां के कई नेताओं के चेहरे का ही नक्शा बदल गया । उन्हे इस बात की चिंता होने लगी कि उनकी राजनीति का क्या होगा ? वो दिन भी दूर नहीं जब यह क्षेत्र हमारे नक्शे में समाहित होगा । बस इतना ही।
लेखक:डा. चंद्रकांत वाघ-अभनपूर (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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