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जिन्ना का डायरेक्ट एक्शन डे तथा दिल्ली दंगों का आपसी कनेक्शन

Interconnection of Jinnah's Direct Action Day and Delhi Riots.

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Positive India:Purshottam Mishra:
जिन्ना का “डायरेक्ट एक्शन डे” तथा दिल्ली दंगों का आपसी कनेक्शन आहिस्ता आहिस्ता साबित हो रहा है डायरेक्ट एक्शन डे दिल्ली दंगों का बारीकी से विश्लेषण करें तब हम पाते हैं कि
नागरिकता कानून के बहाने सीएए विरोधियों ने दिल्ली में दंगे भड़का दिए। इस दंगे ने 43 लोगों से अधिक लोगों की जान ले ली। 200 से अधिक लोग घायल हो गए तथा करोड़ों अरबों की संपत्तियों को या तो लूट लिया गया या फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। ऊपर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि इस दंगे को भड़काने का सिर्फ एक कारण “नागरिकता कानून” का विरोध करना; वह नागरिकता कानून जिसमें नागरिकता देने का है ना कि नागरिकता लेने का है, परंतु यह पूरा सच नहीं है।

विपक्षी पार्टियों ने, खासकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी तथा वामपंथी दलों ने नागरिकता कानून का विरोध करने के लिए महिलाओं, बच्चों का सहारा लिया। इसके लिए उन्होंने शाहिनबाग को चुना और फिर धीरे-धीरे दंगों की पृष्ठभूमि को तैयार करने लगे। जिसकी परिणीति दिल्ली दंगों के रूप में हुई; ठीक वैसे ही जैसे मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानों के लिए अलग देश लेने के लिए “डायरेक्ट एक्शन डे” का घिनौना खेल खेला था।

जिन्ना के “डायरेक्ट एक्शन डे” ने मात्र 72 घंटों में बंगाल में 4000 लोगों की जाने ले ली थी। लाखों लोग बेघर हो गए थे और करोड़ों की संपत्तियों को लूट लिया गया था; सिर्फ इसलिए ताकि महात्मा गांधी व कांग्रेस पर तथा देश छोड़कर जा रहे अंग्रेजों पर यह दबाव बनाया जा सके कि वे मुसलमानों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान दे दे। “डायरेक्ट एक्शन डे” के कत्लेआम में किसी को भी बख्शा नहीं गया था, चाहे वह महिलाएं हो बुजुर्गों यहां तक कि बच्चे!

“डायरेक्ट एक्शन डे” मोहम्मद अली जिन्ना की सोची समझी चाल थी और जिन्ना अपनी इस चाल में कामयाब हो गया, वो भी हिंदुस्तान में दंगे करवाकर, ठीक वैसे ही जैसे नागरिकता कानून के विरोधी पहले धरने प्रदर्शन करते हैं, वह भी शांतिप्रिय तरीके से और फिर धीरे-धीरे दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं और दिल्ली में दंगे को भड़का देते हैं: वह भी तब, जब डोनाल्ड ट्रम दिल्ली के दौरे पर थे।

लाख समझाने के बावजूद की सीएए नागरिकता देने का है, ना कि नागरिकता लेने का है; तथाकथित सेकुलर नेता और मुस्लिम बुद्धिजीवी मुसलमानों को भ्रम में रखकर उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मुसलमानों का अस्तित्व हिंदुस्तान में खतरे में है। सरकार को इस स्थिति से सख्ती से निपटना होगा अन्यथा यह तथाकथित सेकुलर नेता भारत में शांति भंग इसकी अर्थ व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देंगे और यही भारत के दुश्मन चाहते हैं।

नरेंद्र मोदी की सरकार ने ट्रिपल तलाक, धारा 370 और राम जन्मभूमि मुद्दे को बड़े आसानी से सुलझा लिया है। कहीं कोई दंगा फसाद नहीं हुआ और यही भारत के विरोधियों का सबसे बड़ा मलाल रहा है। उन्हें पच नहीं रहा है कि वर्षों से लंबित यह मुद्दे इतनी आसानी से कैसे सुलझ गए । अपने मंसूबों को साधने के लिए भारत विरोधियों तथा तथाकथित सेकुलर नेताओं ने नागरिकता कानून का सहारा लिया तथा मुसलमानों में यह भ्रम सैलाना शुरू किया कि उनका अस्तित्व भारत में खतरे में है। योजनाबद्ध तरीके से इस मुहिम में महिलाओं व बच्चों को जिनमें दादी या नानी या लड़कियां शामिल थी; उन्हें आगे किया और दिल्ली के शाहीन बाग को बतौर एक प्रयोग की तरह इस्तेमाल करते हुए लगातार 75 दिनों से धरने को अंजाम दिया। शाहीन बाग भारत को अस्थिर करने का एक स्थल बन गया है, जहां से भारत के प्रति, भारत की सरकार के प्रति तथाकथित सेकुलर नेता जहर उगलने लगे। देश के विभिन्न हिस्सों में शाहीन बाग की तर्ज पर शाहीन बाग क्रिएट होने लगा। वहां पर भी महिलाएं व बच्चे धर्म धरने पर बैठने लगे ताकि दुनिया को यह संदेश दिया जा सके कि भारत का मुसलमान खतरे में है, उसकी नागरिकता खतरे में है, उसकी आईडेंटिटी खतरे में है और फिर एक सोची-समझी रणनीति के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन पर दंगा भड़का दिया गया ताकि पूरी दुनिया का फोकस दिल्ली के दंगों पर हो जाए।

क्या भारत विरोधी आज के हिंदुस्तान को इतना अपरिपक्व मानते हैं कि वे अपनी चाल में कामयाब हो जाएंगे? क्या कोई तथाकथित नेता फिर से जिन्ना के “डायरेक्ट एक्शन डे” को भारत में लागू कर पाएगा? कदापि नहीं यह 21वीं सदी का नया भारत है ,ऐसा बिल्कुल नहीं हो पाएगा।

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