अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने भारत में सबसे पहले पाए गए कोरोना वायरस के बेहद संक्रामक डेल्टा स्वरूप को ‘‘चिंताजनक’’ बताया है।
सीडीसी ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘अमेरिका में पाए जा रहे वायरस के स्वरूप बी.1.1.7 (अल्फा), बी.1.351 (बीटा), पी.1 (गामा), बी.1.427 (एप्सिलन), बी.1.429 (एप्सिलन) और बी.1.617.2 (डेल्टा) चिंता का विषय हैं। अमेरिका में अब तक ऐसा कोई स्वरूप नहीं है जिसका प्रभाव बहुत अधिक हो।’’ उसने कहा कि डेल्टा स्वरूप में प्रसार क्षमता अधिक है।
वायरस के किसी भी स्वरूप को चिंताजनक तब बताया जाता है जब वैज्ञानिक मानते हैं कि वह अधिक संक्रामक है तथा गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। चिंताजनक स्वरूप की पहचान करने वाली जांच, उपचार और टीके भी इसके खिलाफ कम प्रभावी हो सकते हैं। इससे पहले सीडीसी ने डेल्टा स्वरूप के बारे में कहा था कि इस स्वरूप के बारे में और अनुसंधान की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 10 मई को डेल्टा को चिंताजनक स्वरूप बताया था।
सीडीसी के अनुमान के मुताबिक, पांच जून तक अमेरिका में संक्रमण के मामलों में से 9.9 फीसदी के पीछे वजह डेल्टा स्वरूप था। वायरस के स्वरूपों पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘आउटब्रेक डॉट इन्फो’ के अनुसार, 13 जून तक डेल्टा स्वरूप के मामले 10.3 फीसदी हो गए। सीएनएन की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि महीने भर के भीतर अमेरिका में डेल्टा स्वरूप सबसे प्रभावशाली स्वरूप बन सकता है। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके मुख्य सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची ने आगाह किया था कि नोवेल कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप बहुत अधिक संक्रामक है, यह ब्रिटेन में 12 से 20 वर्ष के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है तथा वहां सबसे हावी स्वरूप साबित हो रहा है।
अमेरिका में बीते कुछ महीनों से कोरोना वायरस के मामलों में कमी आ रही है लेकिन टीकाकरण की धीमी गति के मद्देनजर चिंता जताई जा रही है कि डेल्टा स्वरूप यहां फिर से कहर बरपा सकता है। साभार पीटीआई
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