Positive India: Dayanand Pandey:
संविधान निर्माता तो नहीं हैं भीमराव अंबेडकर पर हां, सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए अफ़ीम ज़रूर हैं । दलित वोट के लिए अफ़ीम का काम करते हैं अंबेडकर ।
अंबेडकर पढ़े-लिखे आदमी थे l बड़े आदमी थे । दलित चेतना को जागृत करने में अग्रणी हैं । पर अंबेडकर को संविधान निर्माता बताना , समूची संविधान सभा का अपमान है । संविधान बनाने के लिए 319 सदस्यों वाली संविधान सभा थी जिस के अध्यक्ष पहले सच्चिदानंद सिन्हा, फिर राजेंद्र प्रसाद हुए । बड़े-बड़े दिग्गज इस संविधान सभा में थे । अंबेडकर सिर्फ़ एक सदस्य थे और कि एक ड्राफ्ट कमेटी के चेयरमैन । ऐसी अन्य अनेक कमेटियां थीं । जिन के चेयरमैन अलग-अलग लोग थे ।
अच्छा अगर अंबेडकर संविधान निर्माता हैं तो संविधान सभा के बाक़ी सब 319 सदस्य क्या घास छील रहे थे ?
लेकिन दलित वोट का जादू है कि सभी की सभी राजनीतिक पार्टियां अंबेडकर को संविधान निर्माता बता कर देश के दलितों की आंख में धूल झोंकने का काम करती हैं ।
और कांग्रेस ?
नेहरू तो अंबेडकर को न संविधान सभा में रखना चाहते थे , न अपने मंत्रिमंडल में । नेहरू देखना तक नहीं चाहते थे अंबेडकर को । गांधी के हस्तक्षेप से लेकिन अंबेडकर को मंत्रिमंडल और संविधान सभा में रखा गया । इतना ही नहीं लंदन में कुल चार बार गोलमेज़ कांफ्रेंस हुई l गांधी ख़ुद इस में सिर्फ़ तीन बार गए । लेकिन नेहरू के विरोध के बावजूद अंबेडकर को चारो बार गोलमेज कांफ्रेंस में भेजा । अलग बात है कि यही अंबेडकर बाद में गांधी के सब से बड़े निंदक बन गए । गांधी को महात्मा मानने से इंकार कर दिया । जब कि गांधी को महात्मा की उपाधि टैगोर ने दी थी । राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने कहा । पर अंबेडकर गांधी को जूते की नोक पर रखते रहे। यही कारण है कि तमाम दलित और अंबेडकरवादी खलनायक मानते हैं गांधी को । मायावती तो गांधी को शैतान की औलाद कहती हैं।
रही बात दलितों को आरक्षण देने की तो यह भी गांधी के हस्तक्षेप पर दिया गया । सिर्फ़ दस साल के लिए । नेहरू दलितों को आरक्षण के पक्ष में न तब थे , न बाद में । बाद में संविधान सभा में मुस्लिम समाज को भी आरक्षण देने की बात हुई ।
मुस्लिम सदस्यों ने कहा कि छोटा भाई समझ कर मुसलमानों को भी आरक्षण दिया जाए । सरदार पटेल ने इस मुस्लिम आरक्षण का पुरज़ोर विरोध करते हुए कहा कि छोटे भाई को एक पूरा देश पाकिस्तान दे दिया गया है । धर्म के आधार पर अब कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता । धर्म के आधार पर एक देश बहुत है । यह सारी बातें संविधान सभा के मिनिट्स में दर्ज हैं । जिस का मन हो ,पढ़ सकता है ।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)