स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती। मेटास्टेटिक स्तन कैंसर सर्जरी और ब्रेस्टआंकोप्लास्टी पर चर्चा शुरू
Breast Disease & Management: Changing Trends
Positive India:Raipur:पंडित जवाहरलाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर द्वारा स्तन संबंधित बीमारियों के इलाज और प्रबंधन पर आयोजित दो दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन देश-विदेश में शोध-पत्र प्रस्तुत कर चुके देश के नामी सर्जन्स ने “स्तन रोग और उसके प्रबंधन की बदलती प्रवृत्तियों” (Breast Disease & Management: Changing Trends) पर वैज्ञानिक शोध व व्याख्यान प्रस्तुत किए। रायपुर मेडिकल कॉलेज के स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में इस अधिवेशन का शुभारम्भ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. चंद्राकर, क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. विवेक चौधरी, डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. विनीत जैन, सीजीएएसआई अध्यक्ष डॉ. फैजुल हसन फिरदौसी तथा सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. शिप्रा शर्मा ने किया।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए डॉ. ए.के. चंद्राकर ने कहा कि महिलाएं स्तन संबंधी समस्याओं के बारे में परिजनों और डॉक्टरों के साथ चर्चा करने में संकोच महसूस करती हैं। डॉक्टरों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम जागरूकता पैदा करें और इस झिझक को दूर करें, ताकि प्रारंभिक अवस्था में ही समस्याओं की पहचान हो सके और उपचार के बेहतर परिणाम सामने आएं। डॉ. विवेक चौधरी ने कहा कि हाल के कुछ वर्षों में स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है। वर्तमान में इस बीमारी की अत्याधुनिक जांच और निदान की सुविधा उपलब्ध है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनीत जैन ने कहा कि हर गांठ कैंसर नहीं होती। इसकी जांच से कैंसर का पता चलता है। आज चिकित्सा विज्ञान बहुत आगे पहुंच चुका है। इससे शत-प्रतिशत रोग के नियंत्रण में सफलता मिल रही है।
समय-समय पर ब्रेस्ट की स्क्रीनिंग जरूरी:
नई दिल्ली के यू.सी.एम.एस. हास्पिटल की सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. नवनीत कौर ने स्तन की शारीरिक संरचना और शल्य चिकित्सा की योजना पर अपने व्याख्यान में कहा कि पहले महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आने पर जीने की उम्मीद छोड़ देती थीं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब फर्स्ट स्टेज में बीमारी की पहचान हो जाने से ही दवाओं तथा शल्य क्रिया के माध्यम से 90 फीसदी बचाव संभव है। सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली के वरिष्ठ सर्जन डॉ. चिंतामणि ने स्तनों की त्रिआयामी मूल्यांकन और स्क्रीनिंग के दिशा-निर्देश पर शोध-पत्र पढ़ते हुए कहा कि सोनोग्राफी, मेमोग्राफी, सीटी स्कैन तथा एमआरआई जैसे इमेजिंग के अत्याधुनिक तरीकों ने स्तन रोगों की पहचान को आसान बनाया है। स्तन कैंसर जानलेवा नहीं है। इसकी जानकारी, सेल्फ एक्जामिनेशन व जागरूकता ही इसके रोकथाम के उपाय हैं।
के.जी.एम.सी. लखनऊ के एंडोक्राईन सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. आनन्द मिश्रा ने निप्पल से होने वाले डिस्चार्ज के आधार पर बीमारी को पहचानने के तरीके, अजमेर मेडिकल कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कुमकुम सिंह ने स्तन कैंसर के फैलाव और उसके फॉलो-अप, एम्स नई दिल्ली के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने स्तनों की नैदानिक परीक्षण की विधि, डॉ. दक्षेस शाह ने स्तनों के ऊतकों के अत्यधिक विकास (जाइगेंटोमेस्टिया) तथा डॉ. अवनि तिवारी ने हिस्टोपैथोलॉजी के लिए नमूना चिन्हित करने और रिपोर्ट की व्याख्या के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
मीडिया व आम लोगों के लिए आयोजित परस्पर विचार-विमर्श कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के प्रश्नों व शंकाओं का समाधान किया गया। बीमारियों के उपचार में हालिया दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल्स के बारे में जानकारी दी गई जिससे आमजन स्तन के विकारों के सम्बन्ध में जागरूक हो सके। इस दौरान विशेषज्ञों द्वारा स्तन संबंधित गांठ, कैंसर, बेनाईन ट्यूमर्स व संक्रमण संबंधित बीमारियों और समस्याओं पर उपयोगी जानकारियां साझा की गईं। इस कार्यक्रम का संचालन सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शिप्रा शर्मा, डॉ. मंजू सिंह एवं डॉ. संदीप चंद्राकर ने किया।
अधिवेशन में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एस.बी.एस. नेताम, डॉ. विवेक पात्रे, आंकोसर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. संतोष सोनकर, डॉ. नरेन्द्र नरसिंह और डॉ. मनोज पोपटानी सहित अनेक विशेषज्ञ, डॉक्टर एवं मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित थे। अधिवेशन के दूसरे दिन 11 जनवरी को अलग-अलग सत्रों में विशेषज्ञों द्वारा मेटास्टेटिक स्तन कैंसर में सर्जरी की भूमिका, स्थानीय स्तर पर उन्नत स्तन कैंसर में कनेडियन संघ के दिशा-निर्देश और ब्रेस्टआंकोप्लास्टी पर परिचर्चा होगी। वीडियो सेशन में रेडिकल मेस्टेक्टॉमी, आंकोप्लास्टी प्रोसीजर तथा ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।