किसानों को उबारने के लिए आईफा ने सौंपा 25 सूत्री मार्गदर्शी सुझाव पत्र
वैश्विक कृषि में भारत का नया भविष्य गढ़ने का वक्त।
Positive India:Raipur;24 April:
अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) ने वर्तमान में कोरोना(Corona) वैश्विक महामारी की वजह से उत्पन्न लॉकडाउन(Lockdown) से हो रहे कृषि क्षेत्र के नुकसान और किसानों को बदहाल स्थिति से उबारने के लिए ” 25 सूत्री मार्गदर्शी सुझाव पत्र ” राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री औऱ केंद्रीय कृषि मंत्री को सौंपा है।
आईफा ने देश भर में सक्रिय अपने 52 अनुशांगिक किसान संगठनों, किसान उत्पाद संगठनों (एपीओ), कृषि उत्पाद विपणन समूहों तथा कृषि से संबंद्ध संगठनों से कृषि व कृषकों की जमीनी दिक्कतों और कृषि की बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव मांगे थे. आईफा के आह्वान पर देशभर से भारी संख्या में न केवल किसान संगठन बल्कि किसानों ने अपने सुझाव भेजे हैं. यह पहला अवसर है जब निजी स्तर पर किसी संगठन द्वारा इतने बड़े पैमाने पर सभी हितधारकों से सुझाव ले कर कृषि क्षेत्र के जीर्णोद्धार के लिए एक सामग्रिक सुझाव पत्र तैयार किया है, जो देश की कृषि और कृषकों की स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन ला सकता है।
आईफा के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अब वक्त आ गया है कि कृषि क्षेत्र के सभी हितधारक वर्तमान समस्या के समाधान के लिए अलग-अलग राग अलापने के बजाय इसके लिए ठोस नीतिगत फैसले लें और सरकार के साथ सकारात्मक सामांजस्य स्थापित कर एक स्थायी पहल करें।
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय किसान महासंघ ने सरकार से कोई मांग नहीं की है। आईफा का मानना है कि वर्तमान परिस्थिति में मांग से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। समाधान के लिए कृषि क्षेत्र के प्रत्येक हितधारकों को एक दूसरे के साथ सलाह-सुझाव पर सकारात्मक नजरिये से विचार करना होगा और सामुहिक रूप से समाधान की दिशा में प्रयास करना होगा।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि इन सुझावों का अध्ययन कर आईफा ने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर 25 मुख्य विंदु चिन्हित किये हैं, जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया है। ये सुझाव तीन स्तरों को ध्यान में रख कर दिये गये हैं
*पहला स्तर*: तात्कालिक तौर पर कोरोना संक्रमण और इसकी वजह से लॉकडाउन से कृषि क्षेत्र के नुकसान से उबारने तथा किसानों को तात्कालिक राहत देने
*दूसरा स्तर*: भारतीय कृषि की आधारभूत संरचना को सदृढ़ करते हुए ऩीतिगत कृषि सुधार
*तीसरा स्तर*: वर्तमान वैश्विक परिस्थिति के मद्देनजर भविष्य के अवसरों का लाभ उठाने के लिए संरचनात्मक विकास के साथ कृषि क्षेत्र में निवेश और नवाचार के लिए सहज-सुगम माहौल का सृजन।
*डॉ त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय कृषि इस लॉकडाउन के पहले ही एक प्रकार से आईसीयू में थी अब यहां दो ही विकल्प हैं:*
एक कि भारतीय कृषि को उसके हाल पर छोड़ दिया जाए, जो किसी संप्रभुता संपन्न राष्ट्र के लिए संभव नहीं है, जिसकी आबादी का एक बड़े हिस्से की आजीविका कृषि पर आधारित हो। दूसरी स्थिति है कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था ही मणासन्न पर आ गई है, तब भारतीय कृषि क्षेत्र स्वयं को वैश्विक नेतृत्व देने की स्थिति में स्वयं को खड़ा करे और विश्व में कृषि का अनुकरणीय मॉडल पेश करे। इसकी पूरी संभावना भारत में है। बस कुशल नेतृत्व, सही नीति और उसका सटीक क्रियान्वयन इसके मूल में है।
इसी को ध्यान में रखते हुए आईफा ने अपने स्तर पर पहल की है। आने वाले समय में आईफा कृषि क्षेत्र के विभिन्न पहलु पर शोध-सर्वेक्षण के आधार पर नीति निर्माण के लिए वस्तुस्थिति की जानकारी केंद्र सरकार को उपलब्ध करायेगी। इसके लिए आईफा कृषि विशेषज्ञों की एक टीम भी बना रही है जो अगले सप्ताह-दस दिन में मूर्त रूप ले लेगी। आईफा का मानना है कि सिर्फ आंदोलन से भारतीय कृषि की दशा-दिशा में बदलाव नहीं आएगा। कृषि क्षेत्र के प्रत्येक हितधारकों को अपने स्तर पर कृषि के उज्जवल भविष्य के लिए अपना योगदान देना होगा।
डॉ त्रिपाठी ने कहा कि कभी-कभी स्थितियां इतनी प्रतिकूल हो जाती है कि लगता है कि उससे उबरना मुश्किल है। लेकिन इन्हीं मुश्किल हालातों का जब समाधान तलाशा जाता है तो उत्कृष्ट समाधान और अभूतपूर्व अवसर मिलते हैं, जिसकी पूरी संभावना है। आईफा इसी संभावना को ध्यान में रख कर नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है औऱ आईफा को इसमें अभूतपूर्व सहयोग-समर्थन मिल रहा है।