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निजी अस्पतालों को सीजीएचएस में आ रही समस्याओं के लिए AHPI छत्तीसगढ़ चैप्टर ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को लिखा पत्र

सामान्यतः सीजीएचएस द्वारा 9 महीने से 1 साल के बीच बिल का भुगतान हो रहा है जो सर्वथा अनुचित है।

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Positive India:Raipur:
सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सभी अधिकारी – कर्मचारी एवं सांसद स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभार्थी रहते हैं। एसोसिएशन ऑफ़ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स इंडिया (ए एच पी आई) छत्तीसगढ़ चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया की सीजीएचएस ने 13 सितम्बर 2022 को निजी अस्पतालों के इम्पैनल्मेंट के लिए नया एग्रीमेंट जारी किया है जिसे अस्पतालों को 30 सितम्बर 2022 तक अस्पताल प्रशासन द्वारा हस्ताक्षर करना अनिवार्य है। इस नए द्विपक्षीय एग्रीमेंट में बहुत सी शर्तें ऐसी है जिनका यदि पालन किया गया तो अस्पतालों को सीजीएचएस मरीजों को स्वस्थ्य सुविधा देना बहुत ही मुश्किल है। ए एचपीआई के राष्ट्रीय नेतृत्व के परामर्श के बाद इन समस्याओं के सन्दर्भ में डॉ. राकेश गुप्ता ने ए एच पी आई छत्तीसगढ़ चैप्टर के सदस्य अस्पतालों की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया को पत्र लिख कर उन्हें इन समस्याओं से अवगत करवाया है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि 21 सितम्बर 2022 को सीजीएचएस समन्वय समिति जिसमें हेल्थ सेक्टर के सभी एसोसिएशन IMA, FICCI, ASSOCHAM, NATHEALTH, AHPI और मेदांता, मैक्स, फोर्टिस, नारायणा हेल्थ, यशोदा हॉस्पिटल एवं अन्य अस्पतालों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे उन सभी ने एकमत से कहा कि सीजीएचएस द्वारा नए एग्रीमेंट में किये गए बदलाव को यदि लागू किया गया तो स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता से समझौता किये बिना सीजीएचएस लाभार्थियों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना अस्पतालों के लिए बहुत ही मुश्किल साबित होगा।

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उल्लेखनीय है कि सीजीएचएस की पैकेज दरों में 2014 से कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है। जबकी इस दौरान अस्पतालों के संचालन व्यय जैसे डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का वेतन, दवा और अन्य सामग्री के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी, अस्पताल संचालन खर्चे लगातार बढे हैं। ऐसे में सीजीएचएस की वर्तमान दरों पर अस्पतालों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवा देना बहुत मुश्किल है। साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि क्षेत्र (रीजन) के हिसाब से दरों का वर्गीकरण न कर शहरों की श्रेणी के हिसाब से मरीजों के इलाज की पैकेज दरें निर्धारित की जाएँ। श्रेणी एक और दो के सभी शहरों में अस्पताल का संचालन और इलाज की लागत लगभग एक जैसा ही है इसलिए केटेगरी अ में मेट्रो, केटेगरी ब में टियर 1 , केटेगरी स में टियर 2 शहर, केटेगरी द में टियर ३ शहर को रखकर एक केटेगरी में आने वाले सभी शहरों के लिए एक समान दर लागू हो। सीजीएचएस ने ओपीडी और इमरजेंसी कंसल्टेशन के लिए क्रमशः 150 रूपए और ₹1000 की दर निर्धारित की है जबकि लगभग सभी अस्पताल, नर्सिंग होम और प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर 300 रूपए से 1000 रूपए कंसल्टेशन फीस लेते हैं इसलिए सीजीएचएस की ओपीडी कंसल्टेशन और इमरजेंसी रूम फीस गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बढ़ाएं जाने की जरुरत है। मेजर और माइनर सर्जरी की पैकेज दरें भी बढ़ाये जाने की जरुरत है।

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नए एग्रीमेंट में सीजीएचएस ने अस्पताल प्रशासन से इम्प्लांट को उनके बाजार मूल्य के 60% पर (जीएसटी मिलकर) बिल करने और दवाओं पर बाजार मूल्य से न्यूनतम 20% का डिस्काउंट देने की बाध्यता रखी है। इसका पालन करने से विशेषकर छोटे अस्पतालों को नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि इन अस्पतालों और नर्सिंग होम को डिस्ट्रीब्यूटर से इतना डिस्काउंट मिलता ही नहीं है। साथ ही खरीदी दर के अलावा भी अस्पतालों को इम्प्लांट और दवा के स्टोरेज, उनकी खरीदी और वितरण के लिए रखे गए स्टाफ की तन्खाह, खरीदने के लिए लगी वर्किंग कैपिटल के ब्याज आदि का व्यय आता है। ऐसे ही अभी के एग्रीमेंट में सीजीएचएस के कैंसर के मरीजों को केमोथेरापी की दवाएं बाहर से लाने की अनुमति दी गयी है। कैंसर के इलाज में दवा की गुणवत्ता बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि मरीज दवा बाहर से लाएगा जो अस्पताल का उस दवा की गुणवत्ता पर कोई नियंत्रण नहीं होगा जबकि मरीज की इलाज की जवाबदारी तब भी अस्पताल की ही होगी।

सीजीएचएस के नए एग्रीमेंट में अस्पतालों से उनकी सुविधाओं, बैंक गारंटी, परफॉरमेंस गारंटी, सुविधा न देने पर पेनल्टी आदि का तो वर्णन है लेकिन सीजीएचएस द्वारा उसकी तरफ से सेवा पूर्ति करने का कोई उल्लेख नहीं है। सभी अस्पतालों ने बताया की सामान्यतः सीजीएचएस द्वारा 9 महीने से 1 साल के बीच बिल का भुगतान होता है कई शहरों में पिछले 4 साल की अस्पताल के बिल नहीं देने की खबरें आमतौर पर शिकायत के रूप में आती रहती हैं जबकि अस्पतालों को स्टाफ की तनखाह का मासिक भुगतान और वेंडरों का 45 दिनों में भुगतान करना होता है। इस वजह से अस्पतालों को अपनी वर्किंग कैपिटल के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अभी तक चल रहे कॉन्ट्रैक्ट में बिल की राशि का 75% भुगतान बिल जमा करने के बाद होता था और बचे हुए 25% का भुगतान सत्यापन के बाद होता था लेकिन नए एग्रीमेंट में इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। साथ ही सीजीएचएस द्वारा बिल में गलत कटौती या बिल नामंजूर कर दिए जाने पर आर्बिट्रेशन का प्रावधान भी नहीं रखा गया है। इन प्रावधानों के लागू होने की स्थिति में देश के अधिकांश मझोले शहरों के अस्पताल बीमारू के रूप में परिवर्तित हो जाएंगे

डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि सभी अस्पताल सरकार के साथ कार्य करने और सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा में अपना योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को सीजीएचएस के एग्रीमेंट के नए प्रावधानों को लागू करने के पहले स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी एसोसिएशन की बैठक बुलाकर उनसे विचार विमर्श करना चाहिए। और उनके द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार नए एग्रीमेंट के प्रावधानों में आवश्यक संशोधन करने के उपरांत ही इन्हे लागू किया जाना चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बड़े -छोटे सभी निजी अस्पताल भी उनके दृष्टिकोण से सहमत हैं। अस्पतलों से अपने स्तर पर भी केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को समस्याओं से अवगत करवाने के लिए पत्र भेजने शुरू कर दिए हैं।

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