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शैंपू को पहले कभी कभार ही उपयोग में लाया जाता था बाद में माह में, सप्ताह में, आजकल तो लगभग रोजाना ही उपयोग में लाया जाने लगा है. विशेषकर महिलाएं इसका ज्यादा इस्तेमाल करती हैं.
शैंपू को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए उसमें एंजाइम्स मिलाये जा रहे हैं यह एंजाइम्स हमारी रस-स्त्रावी ग्रंथियों को उत्प्रेरित करते हैं, जिसमें सामान्य से ज्यादा रस बनने और उत्सर्जित होने लगते हैं अक्सर एंजाइम्स के प्रभाव में आकर ग्रंथियां अपने निर्धारित समय से पूर्व ही उत्तेजित हो जाती हैं.
बालिकाओं में शारीरिक बदलाव लाने के लिए नियत समय पर कई ग्रंथियां जागृत होती हैं परंतु एंजाइम के प्रभाव से यह ग्रंथियां समय से पूर्व ही सक्रिय होकर रस उत्सर्जित करने लगती है. इसी वजह से बच्चियां एक नियत समय के पूर्व ही विकसित नजर आने लगती है.
गर्भावस्था में तो बहुत ही ज्यादा ग्रंथियां सक्रिय होती है. आजकल गर्भावस्था और प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं का मुख्य कारण यह एंजाइम ही है.
एक और तो बात चलती है कि पानी की बचत के लिए आधा गिलास पानी ही परोंसे और दूसरी और शैंपू से छुटकारा पाने के लिए हम कितना ज्यादा पानी व्यर्थ ही बहा दे रहे हैं. इसके बारे में हमने कभी सोचा.
भावी पीढ़ी के इस्तेमाल के लिए कुछ तो पानी छोड़ कर जाए इस पर गंभीरता से विचार करना ही होगा.
लेखक:कमल अग्रवाल-रायपुर (एक प्रकृति प्रेमी)