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संस्कृत महाविद्यालय को तोड़कर बनाया गया था अढ़ाई दिन का झोपड़ा

सुनियोजित शैक्षणिक जिहाद ने भारत के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया।

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Adhai Din Ka Jhopda-Credit:Facebook

Positive India:TRH:
बचपन में पढ़कर बहुत आश्चर्य चकित होता था कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने किस तरह से एक मस्जिद का निर्माण केवल अढ़ाई दिन में ही कर दिया था ।

बड़ा हुआ तो मुझे अपने इतिहासकारों के द्वारा एक सुनियोजित शैक्षणिक जिहाद के बारे में पता चला ।

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा राजस्थान के अजमेर नगर में स्थित एक मस्जिद है। इसका निर्माण सिर्फ अढाई दिन में किया गया और इस कारण इसका नाम अढाई दिन का झोपड़ा पढ़ गया।

Pillar dipicting Hindu Devi-Devta. Credit:FB

इतिहासकारों ने ये तो बताया कि यह केवल अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हो गया, लेकिन ये नहीं बताया कि इसे हमारे संस्कृत महाविद्यालय को तोड़कर ही मस्जिद का स्वरूप दे दिया गया ।

इसका प्रमाण अढ़ाई दिन के झोपड़े के मुख्य द्वार के बायीं ओर लगा संगमरमर का एक शिलालेख है जिस पर संस्कृत में इस विद्यालय का उल्लेख है।

बात तब की है, जब मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज चौहान को धोखे से हराने के बाद अजमेर से गुजर रहा था. इसी दौरान उसे वास्तु के लिहाज से बेहद उम्दा हिंदू धर्मस्थल नजर आए. गोरी ने अपने सेनापति कुदुबुद्दीन ऐबक को आदेश दिया कि इनमें से सबसे सुंदर स्थल पर मस्जिद बना दी जाए. गोरी ने इसके लिए 60 घंटे यानी ढाई दिन का वक्त दिया. वास्तुविद अबु बकर ने इसका डिजाइन तैयार किया था; जिसपर कामगारों ने 60 घंटों तक लगातार बिना रुके काम किया और मस्जिद तैयार कर दी. अब ढाई दिन में पूरी इमारत तोड़कर खड़ी करना आसान तो नहीं था इसलिए मस्जिद बनाने के काम में लगे कारीगरों ने उसमें थोड़े बदलाव कर दिए ताकि वहां नमाज पढ़ी जा सके. मस्जिद के मुख्य मेहराब पर उकेरे साल से पता चलता है कि ये मस्जिद अप्रैल 1199 ईसवीं में बन चुकी थी. इस लिहाज से ये देश की सबसे पुरानी मस्जिदों में से है.

यहाँ भारतीय शैली में अलंकृत स्तंभों का प्रयोग किया गया है, जिनके ऊपर छत का निर्माण किया गया है। मस्जिद के प्रत्येक कोने में चक्राकार एवं बासुरी के आकार की मीनारे निर्मित है । मस्जिद के स्तंभों पर खंडित देवी देवताओं की मूर्तियों स्पष्ट पता चलता है। 90 के दशक में इस मस्जिद के आंगन में कई देवी, देवताओं की प्राचीन मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई पड़ी थी,जिसे बाद में एक सुरक्षित स्थान रखवा दिया गया।
Courtesy:The Rising Hindutva-Facebook

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