www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

अब फागुन के दिन हैं सताने लगे हैं

एक ग़ज़ल दयानंद पांडेय की कलम से

Ad 1

Positive India:दयानंद पांडेय:
बात बेबात वह पागल बताने लगे हैं
अब फागुन के दिन हैं सताने लगे हैं

Gatiman Ad Inside News Ad

रास्ते पर आए हैं धीरे-धीरे और आएंगे
वाट्सअप पर अब वह बतियाने लगे हैं

Naryana Health Ad

हम से मिलना उन्हें ख़ुश करता बहुत है
बिना पूछे ऐसा वह सब को बताने लगे हैं

किनारे नहीं बीच धारे मिल कर भी वह
बीच रास्ते अनायास अचकचाने लगे हैं

समय ही समय था जब मिलते थे पहले
जाने क्यों वह अब जल्दी घर जाने लगे हैं

मिलता ही नहीं हूं मैं जब अरसे से उन से
अब इसी गम के मारे वह पियराने लगे हैं

जैसे लतीफा हूं कोई मेरे क़िस्से सुना कर
वह अब दुनिया जहान को हंसाने लगे हैं
साभार:दयानंद पांडेय

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.