छत्तीसगढ़ को अपने कलम से गढ़ने को तैयार एक युवा साहित्यकार
The making of a new Chhattisgarhi writer.
Positive India:9 August 2021:
उलझनों से भरी ख़्वाहिशों की डगर,
गिरा सम्भला चलता रहा मगर…।
इन पंक्तियों को पूरा करते हुए युवा साहित्यकार गजेंद्र साहू ने अंतत: अपनी पहली किताब ‘नए क्षितिज की ओर’ के साथ लेखन साहित्य में कदम रख लिया है। नारी शक्ति से प्रभावित होकर इन्होंने छत्तीसगढ़ की महिला साहित्यकार श्रीमती गीता शर्मा के जीवन संघर्ष पर आधारित किताब लिखी है, जो कि बहुत जल्द पाठकों के हाथों में होगी। किताब का प्रकाशन ‘ज्ञानमुद्रा प्रकाशन भोपाल’ द्वारा किया जा रहा है। किताब को ऐमज़ॉन पर डाल दी गई है जिसकी अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है। गजेंद्र कुमार साहू ‘दि विस्तार फ़ाउंडेशन संस्था के संस्थापक भी है, जिसके माध्यम से वे सामाजिक कार्यों में पूर्ण योगदान देते आ रहे है।
नारी शक्ति से प्रभावित:
गजेंद्र साहू ने नारी शक्ति से अपने घर से ही प्रभावित है। उनकी माता गृहणी है जिन्हें वे बचपन से गृह कार्यों के अलावा लोगों की मदद करते देखते आ रहे है। छोटी बहन पढ़ाई में अव्वल रही है। माता-बहन जो करते है वह निस्वार्थ भाव से करते है पर यदि इनके अलावा कोई निस्वार्थ भाव से किसी के लिए कुछ करती है तो निश्चित सौभाग्य की बात है । गजेंद्र साहू अपने आपको इस विषय में सौभाग्यसाली मानते है कि उनके जीवन में ऐसी महिलाएँ आई। इसलिए वे नारी शक्ति से प्रभावित होकर उनके लिए विशेष कार्य करना चाहते है । जिसकी शुरूआत उन्होंने अपनी पहली किताब ‘नये क्षितिज की ओर’ से की है।
महिलाओं का हुजूम:
कहते है एक सफल व्यक्ति के पीछे महिला का हाथ होता है और गजेंद्र का मानना है कि उनके साथ तो पूरी महिलाओं का हुजूम है।
श्रीमती रेवती साहू जी जो कि माँ है उनका सदैव हर कार्य में साथ देती है। श्रीमती गीता शर्मा जी ने उनके लेखन को पहचान कर उन्हें अपने जीवन पर किताब लिखने का अवसर दिया। श्रीमती सुनीता पाठक जी ने उनकी इस किताब को लिखने के साथ-साथ हर कठिनाइयों में मदद कर उन्हें सदैव बेटे समान स्नेह दिया। श्रीमती अलका मिश्रा जी जिन्होंने पहली बार उनके लेखन से प्रभावित होकर अपने अख़बार में लिखने का अवसर दिया और हमेशा एक गुरु की भाँति त्रुटियों का सुधार किया। श्रीमती रचना सिंह जी , श्रीमती शूभा मिश्रा ‘कनक’ जी और आराधना यादव जी ने हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान किया। ललिता साहू जो कि उनकी सबसे अच्छी दोस्त है और सहपाठी है, ने हर कार्य हर समय साथ दिया। इन सभी का साथ मिलने के कारण ही गजेंद्र साहू ने अपने नये आयाम की शुरुआत की।
भविष्य की योजना:
गजेंद्र साहू छत्तीसगढ़ी भाषा के उत्थान व उसे सविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने के पहल में अपना सर्वस्व योगदान देना चाहते है। उनकी बहुत जल्द छत्तीसगढ़ी भाषा में कहानी संग्रह ‘अँजोरी पाख’ आने वाली है जिसमें छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े साहित्यकारों के साथ उन्हें लिखने का अवसर प्राप्त हुआ। वे छत्तीसगढ़ के विषयों को छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद करने के कार्य को शुरू कर चुके है। गजेंद्र साहू शॉर्ट फ़िल्मस के लिए स्टोरी भी लिख रहे है जी कि बहुत जल्द यूट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लाट्फ़ोर्म में रीलिस होगी।