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सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनकी एक गलती

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Positive India: Dr.Chandrakant Wagh:
आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी से एक गलती हो गई कि उन्होंने रियासतो का विलय करवा दिया । पर मै काफी खुश नसीब हू और ये देश भाग्यवान है की जहां 542 रियासत व राजा खत्म हुए वही अनगिनत रियासते लोकतंत्र के नाम पर सौगात मे मिली । वही अनगिनत पूर्व राजे, महाराजे और उनका कुनबे भी देश को प्राप्त हुए है । मेरे को तो लगता है कि इनके लिए एक अलग से मंत्रालय बनाने का समय आ गया है । मंत्रालय को चाहिए कि इनकी जितनी भी नाजायज मांग है उसे तत्काल स्वीकार कर लें । जिंदगी भर इनके पुरखो के लिए पेंशन की व्यवस्था, वही सरकारी नौकर चाकर तथा दूसरे अमले की व्यवस्था भी होनी चाहिए । पूर्व विधायक , सांसद के परिवार को नीली बत्ती कार की सुविधा और पूरे प्रोटोकाल के साथ ऐ .के 47 लिए सरक्षा कर्मी मुहैय्या होनी चाहिए ताकि राजकुमार के बदतमीजी पर आम जनता विरोध का साहस न कर सके । इस तथाकथित लोकतंत्र के राजकुमार राजकुमारी कानून से उपर होना चाहिए । इनके किसी भी गैर कानूनी काम को मान्यता मिलनी चाहिए । आफिस मे तोड़फोड, मारपीट और धमकाना ये इनके विशेषाधिकार मे शुमार होना चाहिए । यौन शोषण जैसे वारदात को मनोरंजन का साधन मानना चाहिए । हमे इस बात को जेहन मे रखना चाहिए कि कब ये कही माननीय न बन जाए । बात यहां तक भी ठीक होती तो चल जाता । कुछ लोगो ने तो मंत्री पद से भी सुशोभित हुए है । इस देश ने अति माननीय के किस्से भी सुने है । इतने उच्च कोटि के संस्कार बचपन से ही सिखाया जाता है । ऐसे लोगो के लिए शासन को भी ध्यान रखना चाहिए कि फूल जैसे लोगो को कोई तकलीफ नही होनी चाहिए । नही तो ये लोग मुरझा जाऐंगे । जनता कितनी भी तकलीफ मे रहे, कितना भी टैक्स लगे, कितना भी संसाधन जाया जाय, पर हमारे लोकतंत्र के नुमाइंदो के चेहरे पर शिकन नही आनी चाहिए और ये हर भारतीय की जिम्मेदारी है । ये हमारे लिए क्या नही करते। संसद विधानसभा का अनगिनत दिन वाकआउट , किसी के बोलने पर लगातार चीखना, चिल्लाना , अभद्र भाषा का प्रयोग और उपयोग बहुत मामूली बात है। कुछ लोग तो आपके लिए इतने समर्पित रहते है की गाली गलौज तक कर देते है । लोकतंत्र के लिए अपने को न्योछावर करने वालो ने,लोकतंत्र के मंदिर मे माईक तोड़कर, कुर्सी टेबल एक दूसरे पर फेंक कर जो सजगता दिखाते है वो हमारे लिए गव॔ की बात है । और आपका जन प्रतिनिधि आपके लिए क्या कर सकते है ? पूर्ण रूप से निःस्वार्थ ऐसे कार्यकता हमे कहां मिलेगे । हर समय देश के लिए सोचना इन्ही के बूते की बात है । और आपके लिए कोई क्या कर सकता है ? क्या यह सब गुण आम आदमी मे संभव है ? इस तरह की तालीम देकर ये अपने पूरे परिवार को झोंकते है लोकतंत्र के लिए अपने पूरे परिवार को इस तरह मैदान मे उतारकर ये लोग आप और हमारे लिए जी जान से लड़ते है और हमे लड़वाते है। इनके के लिए हमारा भी तो फज॔ बनता है । इतना करने के बाद भी चुनाव के समय बड़ी खामोशी से, खुशी से, दिल खोलकर खर्च करने का साहस भी यही लोग करते है । इसके बाद भी इन पर वंशवाद का आरोप! ये इनके साथ नाइंसाफी है । अगर इनके लिए मंत्रालय बनता है तो इनकी मांग पूरी हो जाएगी । हमे शुक्रगुजार होना चाहिए कि इनके बदौलत ही आज इस प्रजातंत्र का आनंद ले पा रहे है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ(ये लेखक के अपने विचार है)

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