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नागरिकता कानून पर कवियों से एक कवि की अपील

निज हित में जो आप, देशहित भूल गए, झूठे गीत आपके भी, कोई नहीं गाएगा।

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
कवियों से..

मौन जो कलम हुई, कवि यदि मौन हुआ,
दामिनी को न्याय कहो, कौन दिलवाएगा।

राजहंस बनकर, घूम रहे बगुले भी,
काली करतूत कोई, कैसे जान पाएगा।

आगे नहीं आया यदि, सत्य के जो साथ कोई,
पापी फिर मुड़ कर, वहीं चला आयेगा।

निज हित में जो आप, देशहित भूल गए,
झूठे गीत आपके भी, कोई नहीं गाएगा।

लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर

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