Positive India:Rajesh Jain Rahi:
लुट गयी बस्ती, घरों में आग है,
होंठ पर उनके विषैला राग है।
लो शपथ लेने लगी है मंथरा,
कह रही उसका अनोखा त्याग है।
जीत कर आए हैं कैसे रहनुमां,
द्वार पर पहरे में काला काग है।
अब जहर से आपका है सामना,
आपने पाला अनोखा नाग है।
मूकदर्शक की तरह मत देखिये,
आंकड़ा ये बदनुमा इक दाग है।
लेखक:कवि राजेश जैन ‘राही’,रायपुर(ये लेखक के अपने विचार हैं)