पॉजिटिव इंडिया:नयी दिल्ली,
कैंसर के इलाज के लिए कई तकनीक चलन में हैं, लेकिन ‘डेन्ड्रिटिक सेल थेरेपी’ ने इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों में एक नयी आस जगायी है। यह थेरेपी जानलेवा कैंसर के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है और शायद यही वजह है कि ‘डेन्ड्रिटिक सेल’ की खोज करने वाले राल्फ एम स्टाइनम को मेडिसिन और फिजियोलॉजी के लिए साल 2011 के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।
‘डेन्ड्रिटिक सेल थेरेपी’ प्रतिरोधक प्रणाली पर आधारित एक ऑटोलोगस चिकित्सा है जो कैंसर के मरीज की प्रतिरोध क्षमता को स्वाभाविक रूप से बढ़ाकर उसे कैंसरकारी कोशिकाओं से मुकाबला करने के काबिल बना देती है। गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में चिकित्सा विज्ञान और रक्त विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक वैद्य ने बताया ‘प्रतिरोधक क्षमता शरीर की बीमारियों के खिलाफ लड़ने की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली है। श्वेत रक्त कोशिकाएं प्रतिरोधक प्रणाली की प्रभावी कोशिकाएं होती हैं। उन्होंने बताया ‘डेन्ड्रिटिक कोशिका सफेद रक्त कोशिकाओं का एक अति विशिष्ट क्षेत्र है। यह किसी भी बाहरी कोशिका, यहां तक कि कैंसरकारक कोशिका को भी अपने दायरे में ले आती है और कई टुकड़ों में बांटकर उन्हें कोशिका की सतह पर ले आती हैं। यह टुकड़ों में विभाजित कर प्रतिरोधक प्रणाली की कोशिकाओं को भी सर्तक कर देती है और कैंसर की कोशिकाओं को पहचान कर उन्हें नष्ट कर डालती है। डॉ. अशोक ने बताया कि डेन्ड्रिटिक सेल थेरेपी से मरीज की प्रतिरोधक क्षमता स्वाभाविक तरीके से मजबूत हो जाती है और कैंसरकारी कोशिका से लड़ने में मदद करती है। डेन्ड्रिटिक सेल में ट्यूमर कोशिकाएं खत्म करने की क्षमता तो होती ही हैं और साथ ही ये कैंसर को नष्ट करने के लिए रोगी की प्राकृतिक प्रतिरोधक प्रणाली को भी उत्तेजित करती हैं।
लेखक:चंदन.
Sabhar:pti bhasha