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अमित शाह को नरेन्द्र मोदी ने बनाया गृहमंत्री

Amit Shah Becomes the Home Minister of India.

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Positive India:Purshottam Mishra:
प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को बतौर गृहमंत्री अपनी कैबिनेट में जगह दी है। अमित शाह एक शख्त प्रशासक के तौर पर जाने जाते हैं।

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अमित शाह ने बीजेपी 1987 में जॉइन की, उन्होंने एबीवीपी के साथ काम किया; मात्र 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने आर एस एस की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था। बूथ सेक्रेटरी से लेकर तालुका सेक्रेट्री स्टेट वाइस प्रेसिडेंट और फिर जनरल सेक्रेट्री और उसके बाद उन्होंने अपना पहला असेंबली बायपोल इलेक्शन बतौर विधायक 1997 में लड़ा और उसे जीता।लालकृष्ण आडवाणी के वे कैंपेन मैनेजर थे। अमित शाह स्टेप बाय स्टेप बढ़ते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए और आज भारतीय संघ के गृह मंत्री बन चुके हैं।

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अमित शाह तथा नरेंद्र मोदी मोदी की जोड़ी 2002 में ही पुख्ता रूप से बन चुकी थी जब नरेंद्र मोदी ने उन्हें गुजरात का गृहमंत्री बना दिया । एक समय तो था जब अमित शाह गुजरात सरकार के 12 पोर्टफोलियो को हैंडल कर रहे थे। 2014 के इलेक्शन में उन्हें यूपी का इलेक्शन कैंपेन का इंचार्ज बना दिया गया। अपनी मैनेजमेंट स्किल की बदौलत अमित शाह ने 73 लोकसभा सीटें बीजेपी के झोली में डाल दी। यह तब की सबसे बड़ी जीत थी जिसकी वजह से बीजेपी अपने बूते पर दिल्ली में सरकार बना सकी, और नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन पाए। अमित शाह यही नहीं रुके, उनहोंने 60 % से अधिक भारत के राज्यों पर बीजेपी का परचम लहरा दिया ।इतना ही नहीं उन्होंने ने जम्मू और कश्मीर में भी बीजेपी की सरकार बनवा दी जिसे कोई सोच भी नहीं सकता था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के नेशनल प्रेसिडेंट अमित शाह ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को चैलेंज किया और 42 में से 18 लोकसभा सीटें जीत ली। उड़ीसा में भी 8 सीटें जीतकर नवीन पटनायक के बीजू जनता दल के चूल्हे हिला दी अमित शाह का ही कमाल था कि कांग्रेस 17 राज्योंमें अपना खाता भी नहीं खोल पाई। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी अमेठी से अपना चुनाव हार गए। महज 4 महीने बाद ही अमित शाह ने कांग्रेस द्वारा जीता हुआ राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में जबरदस्त जीत दिलाई। छत्तीसगढ में 2, मध्यप्रदेश में 1 तो राजस्थान में 0 पर सिमट गई कांग्रेस ।
अमित शाह बतौर गृहमंत्री एक सख्त प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं फिर चाहे सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस ही क्यों ना हो, जो नवंबर 2005 में हुआ था। सोहराबुद्दीन पर 60 केसेस दर्ज थे जिनमें लूट, धमकी ,हत्या और उगाही शामिल था।इतना ही नहीं सोहराबुद्दीन पर लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने का भी आरोप था। दाऊद इब्राहिम, पाकिस्तान के लतीफ गैंग तथा और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ भी सोहराबुद्दीन के संबंध थे। वो गुजरात में हिंदू मुस्लिम दंगे भड़का कर भारत को अस्थिर करने की प्लानिंग पर काम कर रहा था ।उसकी प्लानिंग में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खत्म करने की थी। गुजरात एटीएस ने इस मामले को अपने हाथ में लिया। बढ़ते दबाव को देखकर सोहराबुद्दीन अपने परिवार के साथ गुजरात से शिफ्ट हो गया। 23 नवंबर 2005 को जब बस द्वारा हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली में जा रहा था, एटीएस ने उसे तथा उसकी पत्नी कौसर बी को अपने हिरासत में ले लिया; 3 दिन के बाद सोहराबुद्दीन तथा उसकी पत्नी कौसर बी अहमदाबाद की विशाला सर्कल के पास एनकाउंटर में मारे गए।
तुलसीराम प्रजापति सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर का गवाह था। 1 साल के बाद 28 दिसंबर 2006 को उसे भी एनकाउंटर में खत्म कर दिया गया। उस वक्त गुजरात के डीआईजी डीजी वंजारा इस केस के इंचार्ज थे। इन दोनों केस में अमित शाह तथा 22 अन्य पुलिस ऑफिसर को अरेस्ट कर लिया। गया एक लंबी इन्वेस्टिगेशन के बाद सभी को सुप्रीम कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया.

बतौर गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात में आए दिन हो रहे हिंदू-मुस्लिम दंगों पर लगाम लगा दी। दंगों का तो यह हाल था की पतंग कट जाती थी तो दंगे भड़क उठते थे। आज अगर गुजरात में शांति है, खुशहाली है तो उसका श्रेय अमित शाह को जाता है जिन्होंने एक ऐसी प्रणाली विकसित कर दी कि अब अपराधी अपना सिर नहीं उठा सकते।

बाहरी खतरों के साथ-साथ भारत आंतरिक खतरों से भी जूझ रहा है यह आंतरिक खतरे हैं माओवाद कथा इल्लीगल माइग्रेशन जिसका नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट में बहुत बोलबाला है। अमित शाह का गृह मंत्री का एक्सपीरियंस तथा सख्त छवि को देखते हुए उम्मीद है कि वे इन खतरों से भारत को निजात दिलवा देंगे।

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