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वीर सावरकर अखंड भारत की कल्पना वाले स्वतंत्रता सेनानी थे

आजकल के नेता आधी अधूरी जानकारी के साथ किसी भी गंभीर विषय पर टिप्पणी कर स्व॔य व पार्टी दोनो को ही मुसीबत मे डाल देते है।

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज सावरकर जी के जन्म दिन मे जो विवाद हुआ है वो निंदनीय है । पहले नेता पूरी तैयारी के साथ बोलते थे और बहस करते थे, उसमे गंभीरता रहती थी । पर आजकल आधी अधूरी जानकारी के साथ किसी भी गंभीर विषय पर टिप्पणी कर स्व॔य व पार्टी दोनो को ही मुसीबत मे डालते है । चलो इस बात को ही माना जाये कि सावरकर जी दो देश के सिद्धांत के प्रणेता थे, जिस पर आगे चलकर जिन्ना ने पाकिस्तान बनाया । फिर ऐसे नेता के याद मे स्व. इंदिरा गांधी जी की सरकार ने डाक टिकट कैसे जारी कर दिया ? देश को तोड़ने वाले को कांग्रेस की सरकार ने कैसे सम्मानित कर दिया । फिर इसकी भी निंदा की जानी चाहिए । वैसे ही कांग्रेस अभी काफी मुसीबत मे है । फिर ऐसे वक्तव्य नुकसान दायक है । जिस तरह साध्वी प्रज्ञा को लेकर गोडसे के मामले मे हाय-तौबा कांग्रेस ने मचाई थी दुर्भाग्य से उसके दस प्रतिशत भी हल्ला बीजेपी वालो ने नही मचाया । फिलहाल वे अपने जीत के जश्न मे ही डूबे हुए है । अन्यथा जिस तरह साध्वी को माफी मांगनी पडी वो हालात पैदा करने मे भाजपा नाकाम ही हुई है । आज भी सेल्युलर जेल विद्यमान है जहां लोग शौक से अपनी फोटो खींचवाते है । पूरी कहानी सुनने के बाद जहाँ रोंगटे खड़े हो जाते है, वही अपने आप आंखो से आंसू आने लगते है । ऐसे क्रांतिकारी वीर सावरकर को कालेपानी की सजा दो बार सुनाई गई है । ऐसा वीर जिसने बैरिसटर की डिग्री लेने के बाद की औपचारिकता, जिसमे इंगलैंड की रानी की स्तुति करना था, मना कर दिया । जिसके कारण उन्हे इससे वंचित रखा गया । ऐसा क्रांतिकारी जिसे समुद्र से पानी जहाज से ले जाने के समय वो टायलेट के मार्ग से निकलकर उन्होंने उस सागर को तैर कर पार कर लिया । ऐसे वीर सपूत को श्रद्धांजलि की जगह बेवजह के विवाद में उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास ही है । वैसे भी अहिंसा के सिद्धांत के चलते इस देश मे क्रांतिकारियों के साथ सौतेला व्यवहार ही किया गया है । आजादी के छै दशक तक तो लोगो को यही भ्रम था कि कुछ लोगो के अहिंसक आंदोलन के कारण ही आजादी मिली है । इसलिए इन क्रांतिकारियों के नाम से या याद से बहुत कम ही नामकरण किया गया है । सरकार बदलने के बाद इन क्रांतिकारियों की सुध ली जा रही है । उनके परिवारो की पूछ परख हो रही है । यही कारण है कि आज हमे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार भी टीवी मे दिखने लगे है । इस देश के युवा वर्ग इस बात से अभी भी अंजान है कि कितने क्रांतिकारी शहीद हुए है? इस देश का दुर्भाग्य है जब इस देश के आजादी का बड़ा नेता ही अपने विचार धारा से मेल न खाने के कारण उन्हे तब आतंकवादी ही कह दे तो ऐसे शहीद को इतिहास मे कहा उचित जगह मिल पायेगी ? राजनीति में हर समय इस देश के विभीषणो ने मलाई खाई है और उसके असली हकदार को वंचित करने का काम किया है । इतिहास सरकार अपने हिसाब से ही पढ़ाती है । इसलिए जहां जेएनयू टुकड़े टुकड़े गैंग व ऐवाड॔ वापसी वाले लोगो की बाढ़ सी आ गई है वहीं आज का युवा इन क्रांतिकारियों के शौर्य से अपरिचित है। उसे जब महाराणा प्रताप के बदले अकबर महान और शिवाजी महाराज के बदले औरंगजेब पढ़ाया जाएगा, उनके नाम से शहर रास्तों के नाम रखे जाऐंगे तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? देश को अब यहाँ के इतिहास से परिचित कराना शासन का काम है । वीर सावरकर अखंड भारत की कल्पना वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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