राजनीति में बाबाओं ने लगाया स्वहित का तड़का
राजनीति मे जब साधु जमात दिखाई देती है तो हृदय से दुख होता है।
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:आज देश ऐसे मुहाने पर खड़ा है जहां अब किस पर विश्वास किया जाये, ये बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है। लोगो को तो पहले ही नेताओ पर विश्वास नही था और शायद आगे भी न रहे । विश्वसनीयता ऐसे ही खत्म नही हई है । कुल मिलाकर राजनीति मे न तो सिद्धांत रह गया है न ही विचारधारा की कोई जगह रह गई है । पूरी राजनीति स्वहित के इर्द-गिर्द ही घूम रही है । इसलिए नेता हमे हर समय जब राजनीति करते दिखते है तो कई बार सहसा विश्वास नही होता। फिर मुद्दे पर, ऐसा लगता है कि पूरी राजनीति विचारधारा सिद्धांत से परे होकर स्वहित मे समाहित हो गई है । राजनीति मे जब साधु जमात दिखाई देती है तो हृदय से दुख होता है । जिनका जीवन उन्होंने समाज के लिए, देश के लिए होम कर दिया, ऐसे लोग जब अपने स्वार्थ के लिए वहां बैठकर राजनीति करते है तो देश के लोग फिर किस पर विश्वास करे ? यही कम्प्युटर बाबा है, जो कुछ अर्से पहले भाजपा से जुड़े थे। बात यहाँ तक थी तो ठीक थी, पर इन्होंने शिवराज सिंह के मंत्रीमंडल मे राज्यमंत्री का पद भी स्वीकार कर लिया । आज ये राम मंदिर पर अपने आंसू बहा रहे है और रोष व्यक्त कर रहे है । यही बात उस समय करते जब मंत्री बन रहे थे। अगर यही कम्पयूटर बिबा उस पद को सार्वजनिक रूप से ठुकराते तो देश को भी इन पर गर्व होता । पर उस समय तो मंत्रीपद भोग लिया और आज दिग्विजय सिंह के लिए हवन कर रहे है और रैली निकालकर वोट की अपील भी कर रहे है। ये दिग्विजय सिंह के लिए नही कुल मिलाकर पूरी राजनीति घूम-फिर कर स्वहित के लिए हो रही है । इसी प्रकार का कुछ खेल पूर्व सैन्य अधिकारीयो मे भी दिखाई देता है । स्वर्गीय राजीव गांधी पर लगाये गये आरोप पर पूर्व सैनिक अधिकारी भी बंटे दिखते है । फिर ये देश किस पर विश्वास करे ? अगर साधु-संत और सैनिक लोग भी ऐसा करेंगे तो देश सच्चाई तक कैसे पहुंचेगा ? कुल मिलाकर राजनीति के साथ स्वहित का जो तड़का लगाया गया है वो भले उनके अपने राजनीतिक हित साध ले,पर इन सबमें जो देश को नुकसान पहुंचा रहा है, उसे यह देश और आम नागरिक कभी माफ नही करेंगे ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)