राही की फुलझड़ी-टोल टैक्स-मंत्रियों को यहाँ भी छूट है!
आम आदमी का सपना साकार है, विकास का जन्म हो गया मगर उसके साथ उधार है।
Positive India:Rajesh Jain Rahi:
आज कार से,
पास के एक शहर कविता सुनाने निकला।
थोड़ी दूर निकलते ही कार के ड्राइवर ने ब्रेक मारा,
लगा जोर का झटका।
मैं हड़बड़ाया, अचानक ये कौन बीच में आया ?
इससे पहले कि ड्राइवर कुछ कहता,
टोल टैक्स नाका के कर्मचारी ने खिड़की के शीशे को ठोका – ₹200 निकालिए,
वापस आना है तो 400 लगेंगे।
मैंने कहा -क्या उपयोग है ऐसे विवेक का ?
देख नहीं रहे, कार पर लिखा है- कवि हूँ, मैं पथिक हूँ प्रेम का।
वसूली कर्मचारी चिल्लाया -बातें मत बनाओ,
कार किनारे लगाओ।
कवि हो या कलाकार, पूरा पैसा पटाओ।
तभी सायं सांय करता, दनदनाता एक वीआईपी काफिला पहुंचा देखते देखते, नाका पार कर खिसका।
मैंने कहा- कैसा कानून है, ,कैसी लूट है ?
मंत्रियों को यहाँ भी छूट है।
कर्मचारी बोला- चुनी हुई सरकार है,
असीमित अधिकार है,
सड़क बनी है,
आम आदमी का सपना साकार है,
विकास का जन्म हो गया मगर उसके साथ उधार है।
पिछले नाके पर मतदान था, आगे अब व्यापार ही व्यापार है।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर