तुष्टिकरण की राजनीति तथा हिंदू आतंकवाद का जिन्न
भोपाल चुनाव देश का सबसे संवेदनशील चुनाव हो गया है।
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh: ये लोकसभा चुनाव जैसे जैसे आगे बढ रहा है, वैसे वैसे वो मुद्दे जीवित हो रहे है जो संवेदनशील भी है । संविधान के हिसाब से हमारा देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं तो चुनाव भी धर्म निरपेक्ष होना चाहिए । फिर एक दल तो अपने धर्म निरपेक्षता की बड़ी बड़ी कसमे खाता है वही अपने को इसका मसीहा भी मानता है । वहीं दूसरे दल उसकी नजर मे घोर सांप्रदायिक है । पर व्यावहारिक रूप से सही मायने मे वो ज्यादा सांप्रदायिक रहता है ।इन लोगो ने बड़ी चतुराई से अपने राजनीतिक फायदे के लिए तुष्टिकरण की राजनीति को धर्मनिरपेक्षता का चोला पहनाकर खुलकर राजनीतिक फायदे उठा लिये । पर सबका अंत निश्चित है । इन्होंने जब सब सीमाये लांघ दी और एक तथाकथित हिंदू आतंकवाद गढ़ने का काम किया, उस दिन से इन लोगो ने अपनी कब्र खोदने का काम शुरू कर दिया । सियासी जुनून के लिए लोग इतना गिर जाऐंगे, किसी ने सोचा भी नही रहा होगा । अब मुद्दे पर बात, भोपाल का चुनाव भी इसी बात को लेकर ही हो रहा है । जब कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित हुआ तो इस दल को भी कभी नही लगा होगा कि लोहा लोहे को काटता है की तर्ज पर भाजपा भगवा आतंकवाद से पीड़ित को ही अपना उम्मीदवार बनाएगी । जिन लोगो ने अपने शासन मे हिंदू आतंकवाद का जिन्न खड़ा किया था, उन्हे तो खुश हो जाना चाहिए था कि उन्हे एक और मौका मिला है जिसमें साध्वी को आतंकवादी का दोषी बनाने के लिए एक लोकतांत्रिक मौका मिला है । जहा बीजेपी सांप्रदायिक है साध्वी भी सांप्रदायिक है तो उनसे तो किसी भी प्रकार की उम्मीद ही बेकार है । पर इन धर्म निरपेक्ष लोगो को क्या हो गया, ये क्यो उस तथाकथित साधु के शरण मे चले गए जिसने लंबे समय तक शिवराज सिंह के मंत्रीमंडल मे राज्य मंत्री के पद को सुशोभित किया। तब उन्हे क्या याद नही था कि भाजपा ने राममंदिर का वायदा किया था ? जब मतलब निकल गया तो पहचानते नही ? बात यहाँ तक भी थी, तो भी ठीक थी । क्या कारण है भरी दोपहरी मे उक्त बाबा अपने कई बाबाओ के साथ और कांग्रेस प्रत्याशी अपने परिवार के साथ हवन मे बैठे थे? । क्या ये धमॆनिरपेक्षता है ? जब हिंदू आतंकवाद भगवा आतंकवाद है तो जनता को इससे अवगत कराया जाना चाहिए था । उक्त साधु की जगह तथाकथित शांति दूत को प्रचार मे लाया जाना चाहिए था । उक्त शांति दूत जिसका बांग्लादेश मामले मे, श्रीलंका मामले मे भी नाम आ रहा है । क्यो नही उनका उपयोग किया गया ? भोपाल चुनाव देश का सबसे संवेदनशील चुनाव हो गया है । इस चुनाव मे अब यह तय होगा कि कौन सही है । शायद ये सब प्रश्नो के जवाब 23 मई को मिलेगा । पर यह जरूर है कि इस चुनाव मे अच्छे अच्छे अच्छो की अग्नि परीक्षा होने वाली है । इस बात का भी डर लग रहा है कि सत्य तो अब सामने आने वाला है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)