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गंगाजमुनी संस्कृति व धर्मनिरपेक्षता के नकाब को उतारने का समय आ गया

जोधा बाई की शादी को धर्मनिरपेक्षता का चोला क्यो पहनाया गया?

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:इस देश का दुर्भाग्य है कि इस देश को उसके इतिहास से ही अंजान तथा वंचित रखा गया । इसके लिए वामपंथी साहित्यकार के साथ सत्तर साल से काबिज कांग्रेस ने वही इतिहास परोसा जो उसके लिए तथा दल को राजनीतिक सुविधा के हिसाब से मुफीद था । मेरे को तो अब जाकर यह महसूस होता है कि हमारे पीढ़ी को क्यो मुगल शासन व शासको के बारे पढाया गया ? हम क्यों सात सौ साल के गुलामी के कशीदे पढ़ रहे थे ? क्यो हमे हर समय अकबर महान के बारे मे बताया गया? वो अकबर जो आक्रांता था कैसे महान हो गया ? बालीवुड मे इस जिल्लेइलाही पर पिक्चर भी बन गई । मेरे को तो ऐसा लगता है कि उनका राज खत्म ही नही हुआ है । आज भी उनके दरबारी इतिहासकार और उनकी नस्ले नमक का कर्ज अदा कर रही है। महाराणा प्रताप के बारे मे इस पीढ़ी को क्यो नही अवगत कराया गया? एक राजा, जो अपने भूमि को आजाद करने के लिए घास-फूस पर सोते थे और इतिहास मे यह भी दर्ज है। पर वो किससे लड़ रहे थे उनके इस अन्याय का खलनायक कौन था ? वो खलनायक कोई नही महान अकबर ही था। पर इस महान से लड़ने वाले, कम संसाधन मे अपनी रियासत के लिए अपने प्राणो की आहुति देने वाले, उनके साथ उनका महान अश्व चेतक, आज भी उस इतिहास का अंग है जिसे इस देश के युवा पीढ़ीयो को कभी भी नही बताया गया । क्योकि डर था कि राष्ट्रवाद लोगो मे पैदा न हो जाए। कुल मिलाकर तुष्टिकरण की राजनीति तथा अल्पसंख्यक के वोट में ये इतने अंधे हो गये थे कि इतिहास के इस महान योद्धा के साथ अन्याय कर दिया, जिसकी माफी भी नही है । वहीं उस व्यक्ति को महान बनाने मे अपनी पूरी शक्ति झोंक दी जिसने अपनी फूट डालो राज करो की नीति पर चलकर राज किया। दुर्भाग्य से इतिहास मे मानसिंह जैसे लोग भी है जिन्होने अपना सब कुछ जिल्लेइलाही के चरणों मे रखकर एक सूबे के सूबेदार बनकर रह गये । यहां तक जोधा बाई की शादी को धर्मनिरपेक्षता का चोला पहनाकर उन्हे महान बनाने के लिए पूरा इतिहास ही रच दिया । पर उन वीर सपूतो के साथ अन्याय की पूरी हद पार हो गई। पता नही कितने राजपूत, राजपूताना अपने जमीन के लिए वीरगति को प्राप्त हुए ।वाह रे मेरे देश! इसके लिए सत्ताधीश तथा बिके हुए इतिहासकार ही दोषी है । इस पर तो जितनी बहस हो कम है । हो सकता है सत्य लिखने पर सांप्रदायिकता का तमगा भी लग जाए। पर अब समय आ गया है इस देश को बताने का कि कौन महान है और कौन उस समय का दोषी है। इसके बारे मे पता चल जाएगा तो इनके धर्मनिरपेक्षता के नकाब और पाखंड उतरने लगेंगे । इस देश मे ऐसे भी महान शासक है जिनके चित्र हमारे देश के नेताओ के बैठक व आफिस मे तो नही दिखते, पर रूस के राष्ट्रपति श्री पुतिन के आफिस मे शोभा बढ़ा रहे है। वो कोई और नही महाराज शिवाजी है । ऐसे राजाओ से भरे देश और इतिहास से वंचित रखने का श्रेय सिर्फ वामपंथी इतिहासकारों व कांग्रेस को जाता है । अभी तो सिर्फ मैंने महाराणा प्रताप के बारे मे ही लिखा है पर उसके साथ मै दानवीर भामाशाह के बारे मे न लिखू तो ये लेख अपने आप मे अधूरा होगा । उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति अपने रियासत के लिए होम कर दी । अगले बार किसी और राजा के बारे मे, जिनके साथ अपनी राजनीति के स्वार्थ के लिए उसे उसके हक से वंचित रखा गया । अब समय आ गया है ये गंगाजमुनी संस्कृति व धर्मनिरपेक्षता के नकाब को उतारने का ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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