Positive India: हिंदू आतंकवाद का घिनौना चेहरे बनाने का आरोप अंततःढेर हो गया । यू पी ए का एक भी कद्दावर नेता इस तथाकथित आतंकवाद पर जो उन्होंने गढ़ा था, उसे बचाने के लिए कोई भी क्यो नही सामने आ रहा है । आज तो हालात यह है कि इस मुद्दे पर बचने की कोशिश कर रहे है । मोदी जी तो पूरी राजनीति आक्रामक ढंग से ही करते है । इस कारण विपक्ष किंकरत॔वय मूढ की स्थिति मे आ गए है । भोपाल चुनाव ऐसा रूप ले लेगा इसकी कल्पना तक नही की होगी । अब तो भोपाल मे ये चुनाव जनता की अदालत मे आ गया है । इसका निर्णय देश की दिशा तय करेगा । एक चेहरा जो एक रियासत का राजा रहा है, प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा है, पार्टी का महासचिव भी रहा है और राजनीतिक गुरु की भूमिका भी निभाई है; उसी मजबूती से उसने आर एस एस को हिंदू आतंकवाद का चेहरा बनाने मे अपने तरफ से कोई कसर नही छोड़ी । कसाब के जिंदा पकड़ाने के बाद भी मुंबई हमले मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भूमिका की बात की थी । यही सब बात अब अपने चुनाव क्षेत्र मे मजबूती से रखनी चाहिए । अब लोग ही इस पर जनादेश देंगे । अगर साध्वी दोषी है तो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लोग इतने सक्षम है कि इस पर अपना निर्णय दे सके । वही कांग्रेस प्रत्याशी के लिए और सहूलियत हो गई कि एक आरोपी जिस पर गंभीर आरोप यूपीए के शासन काल मे लगाया गया था अब वो उन्हे बेनकाब कर पूरी साजिश को भोपाल के जनता के माध्यम से पूरे देश को अवगत कराऐंगे । वही साध्वी जी भी हिंदू धर्म को कैसे बदनाम कुछ तथाकथित नेताओ ने किया उसको जनता के सामने रखकर दूध का दूध पानी का पानी करके रखेंगी । इस मायने मे ये चुनाव दोनो दलो के लिए जहा प्रतिष्ठा का चुनाव हो गया है, वही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व अभी के मुख्यमंत्री का भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है जिन्होने अप्रत्यक्ष रूप से नजर जमाई हुई है । कुल मिलाकर सब लोगो ने अपना सब कुछ ही दांव पर लगा दिया है जहा पब्लिक ही सब कुछ है । अब ये इक्कीसवी सदी का लोकतंत्र है जहा का मतदाता अब इतना सयाना हो गया है कि अपने भले बुरे के बारे मे सब जानता है । वही इतने न्यूज चैनल व उसके बहस, उसे हर समय अपडेट करते रहते है । एक बात तय है कि न्यायालय से न्याय कब आयेगा कहना मुश्किल है पर जनता के अदालत का फैसला 23 मई को ही आ जाऐगा । इससे यह तय हो जाएगा कि यह हिंदू आतंकवाद धरातल पर टिकता है की नही ? पर यह है जिस तरह से कांग्रेस प्रत्याशी ने हवा का रूप भापकर जिस तरह की खामोशी अख्तियार कर ली है उसी तरह की आवश्यकता साध्वी के लिए भी है । कम से कम इस माध्यम से लोग कौन दोषी है और कौन निर्दोष इस पर परिचित तो हो जाऐंगे ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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