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चुनाव बनाम टुकड़े – टुकड़े गैंग और मोदी लहर

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आक्रामक रूप से पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने पाक को सत्तर साल मे उसकी औकात दिखाई है । यही कारण है आतंकवादी भी अब तो डरने लगे है । उनको पनाह देने वालो मे भी घबराहट सी पैदा हो गई है । यही पाक था जो आतंकवाद करने के बाद भी हम पर बढ चढ़कर दबाव बनाने की कोशिश करते था । हमने ही और हमारे नेताओ ने ही, छोटा देश होने के बाद भी उसे राजनीतिक रूप से दबाव बनाने मे सहयोग किया । यही सहयोग आगे चलकर हमारे गले की हड्डी बन गया । 1947 मे जब दोनो देश आजाद हुए तो हमे उस समय करोड़ो रूपये का सहयोग नही करना था । वहीं प्रथम प्रधानमंत्री स्व.नेहरू ने कभी भी पाक के खिलाफ कड़ा रुख नही अपनाया, जिसके चलते सैन्य शक्ति के तहत चलने वाले देश के आकाओ ने इसे कमजोरी समझ कर फायदा उठा लिया । जो आगे चलकर ढर्रे मे ही बदल गया । यही कारण है 1965 के युद्ध मे ताशकंद की जमीन जीतने के बाद भी वापस कर दी । हमे ताशकंद समझौते मे स्व.लाल बहादुर शास्त्री का पार्थिव शरीर मिला जिसकी गुत्थी आज तक नही सुलझी है । इसके बाद सन 1971 का युद्ध जिसमे बांग्लादेश बना और 90000 सैनिक युद्ध बंदी बने उसे हमने मजबूत प्रधानमंत्री कही जाने वाली स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने शिमला समझौते के तहत तश्तरी मे रखकर वापस कर दिया । न उस समय काश्मीर की बात उठाई न 49 हमारे युद्ध मे बंद सैनिको के रिहाई की बात की । इसलिए जुल्फीकार भट्टो भारत से हजार वर्ष तक लड़ने के मंसूबे पाला हुआ था । इसके बाद भी जितने भी प्रधानमंत्री आये, भारत बड़ा देश होने के बावजूद पाकिस्तान के सामने दब कर ही रहा । चाहे वो स्व. अटलबिहारी बाजपेयी जी भी क्यो न रहे हो । यही कारण है पाक ने अपनी नीति मे बदलाव लाकर गुरिल्ला युद्ध की नीति अपनाई । और खुलकर आतंकवाद को प्रश्रय देने लगा । इसीलिए 26/11 के मुंबई के हमले का कोई जवाब नही दिया । सिर्फ हमारी नीति श्रद्धासुमन व कड़े शब्दो की चेतावनी का पर्याय बन कर रह गई थी । निश्चित ही मोदी जी आये थोड़ा समय लिया, अपनी विदेश नीति के द्वारा पहले पाक को अलग थलग किया, फिर काश्मीर मे कड़ा रुख अख्तियार कर अलगाववादीयो को उनकी जगह दिखाई । नही तो पहले यही लोग राजा महाराजा जैसे आते थे । आतंकवादीयो के अब यह हाल है कि कोई कमांडर बनना नही चाहता है । वही सर्जिकल स्ट्राइक के चलते पाक सदमे मे आ गया है । अभिनंदन को छोड़ना उनकी मजबूरी थी क्योकि अगर उसे खरोंच भी आती तो पाक की बखिया उधड जाती । यही पाक है जिसने सरबजीत सिंह का क्या हाल किया सबके सामने है । चुनाव पर मोदी जी पाक के साथ साथ विपक्ष को भी नरम रवैये और राष्ट्रवाद जैसे प्रमुख मुद्दे को लेकर उन पर आक्रामक हो रहे है । वही जेएनयू मामले पर टुकड़े टुकड़े गैंग को विपक्ष के समर्थन के लिए लोगो मे विश्वसनीयता खत्म हो गई है । मोदी जी चुनाव के मंच से एक तीर से दो शिकार की नीति पर चल रहे है । पहले बार सत्तर साल मे किसी प्रधानमंत्री का ये रूप लोगो को पसंद आ रहा है । और देश सुरक्षित हाथो मे है, ये विश्वास लोगो को होने लगा है । यही कारण है कि आज मोदी लहर दिखाई दे रही है । अभी इतना ही फिर कभी ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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