पॉजिटिव इंडिया:रायपुर.
स्फटिक (Sphatik) एक शुद्ध क्रिस्टल है. फिर यह भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है. ‘प्योर स्नो’ या ‘व्हाइट क्रिस्टल’ भी इसी के नाम हैं. सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन पारदर्शी और चमकदार होता है. यह सफ़ेद बिल्लौर अर्थात रॉक क्रिस्टल से मिलता है.
स्फटिक या क्वार्ट्ज (Quartz) एक खनिज के रूप में रेत एवं ग्रेनाइट का मुख्य घटक है। पृथ्वी के महाद्वीपीय भू-पर्पटी (क्रस्ट) पर क्वार्ट्ज दूसरा सर्वाधिक पाया जाने वाला खनिज है (पहला, फेल्सपार है)। यह SiO4 के सिलिकन-आक्सीजन चतुष्फलकी से बना होता है जिसमें प्रत्येक आक्सीजन दो चतुष्फलकियों में साझा होता है। इस प्रकार इसका प्रभावी अणुसूत्र SiO2 है।
इसको क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर माना गया है।
क्वार्टज प्राकृतिक रूप से साधारणतया एक अक्षीय, रंगहीन, पारदर्शी और कठोर होता है। यह दो प्रकार का होता है- वामघूर्णक और दक्षिणघूर्णक। घूर्णकारी प्रिज्मों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।
क्वार्टज कभी-कभी विदलन भी प्रदर्शित करता है तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के अतिरिक्त अन्य सब अम्लों में अविलेय होता है।
क्वार्टज शुद्ध होने पर ही रंगहीन रहता है। प्राय: यह अंतर्वेशों की प्रकृति के अनुसार लाल, नारंगी, पीले, हरे, बैगनी तथा काले रंगों में पाया जाता है। गर्म करने पर इसके बहुत से रंग अदृश्य हो जाते है। क्वार्टज के एक खनिज स्फटिक, शैल क्रिस्टल में दाब विद्युत गुण होते है।ये कांच के समान दिखता है. परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक कठोर होता है. कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण अधिक उभरे होते है।
स्फटिक (Sphatik) इसको निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न माना गया है।
क्वार्टज अनेकों प्रकार के होते हैं। इनमें से कई अर्ध-मूल्यवान (semi-precious) रत्न हैं। विशेषतः यूरोप और मध्यपूर्व में तरह-तरह के क्वार्ट्ज अतिप्राचीन काल से आभूषण बनाने के काम में लिए जाते रहे हैं।
शारीरिक चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता है। इसे धारण मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रो कैमिकल संतुलन उभरता है. तनाव दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है. इसकी प्रकृति शांत एवं ठंडी होने के कारण स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है. इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है. कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है. इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है.
रुद्राक्ष और मूंगा के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है. इससे व्यक्ति को डर और भय नहीं लगता. उसकी सोच समझ में तेजी और विकास होने लगता है. मन इधर उधर भटकने की स्थिति में सुख शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जती है. कहते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है.
स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है. स्फटिक के शिवलिंग की पूजा से धन.दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है. सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती
ज्वर, पित्त विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी बिमारियों में वैद् इसकी भस्म का प्रयोग करते हैं. स्फटिक कंप्यूटर से निकलने वाले ‘बुरे’ रेडिएशन को अपनी ओर खींचकर सोख लेती है. स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है.