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काश्मीर पर आर पार के निर्णय लेने का समय आ गया है

Article 370 and 35A is the root cause of Kashmir problem

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Positive India: By Dr.Chandrakant Wagh- काश्मीर पर आर पार के निर्णय लेने का समय आ गया है । कितने दिन अनिश्चितता मे रहेंगे? कब तक अपने शर्तो पर रहकर हमारे पर ऐहसान दिखाने का नाटक तथाकथित नेता लोग करते रहेंगे? ऐसे नेताओ को इनकी औकात दिखाना जरूरी है । धर्मनिरपेक्षता का आडंबर कर, वहा से हिन्दू आबादी पर अत्याचार कर, इन लोगो ने हिन्दू समुदाय को वहाँ से छोड़ने के लिए मजबूर किया है । हालात ये है इनके कि जब मलाई खाना हो तो हिंदुस्तानी बन जाऐंगे । बाकी समय उस कंगाल पाक के गुण गाते रहेंगे । 1947 मे गए लोगो को ही उन्होंने स्वीकारा नही। आज तक मुहाजिर का चसपा लगाकर घूम रहे है । जो लोग भी पाक के नागरिक है वे अपने किस्मत के लिए वैसे ही रो रहे है । कश्मीर के लोगो को सिर्फ धर्म के नाम से जुड़े रहने का जेहाद चढ़ा हुआ है। जब काश्मीर मे बाढ़ आई; पाकिस्तान ने तो मुँह फेर लिया था । तब हिंदुस्तान की सेना याद आ गई । अपने जान की परवाह किए बगैर सेना ने हर काश्मिर्यो को बाहर निकाला । तब काश्मीर मे सेना अच्छी । इन काश्मीर के नेताओ ने हर समय हिंदुस्तान का भरपूर दोहन किया है । अब समय आ गया है। काश्मीर वो नासूर बन गया है जिसे निकाल कर इस समस्या का निदान किया जा सकता है। इन नेताओ को अब सावॆजनिक रूप से ये स्वीकारना होगा अब इनमे दम खम है तो ये धारायें खत्म कर इस देश मे समाहित कर मुख्य धारा मे लाये । नही तो सावॆजनिक रूप से चूडियां पहनकर इन काश्मीरयो को इनकी किस्मत पर छोड़ देना चाहिए । फिर चाहे ये कुछ भी करे । आगे चलकर अगर ये मुसीबत मे आये तो कोई मतलब नही रहना चाहिए । तब ये देखने लायक होगा कि कंगाल पाक इनकी कितनी मदद करता है, ये भी पता चल जाएगा । काश्मीर के इन दोगले नेताओ ने जब भी अपनी राजनीति की तो पूरे देश का उपयोग किया । संपत्ति बनानी थी तब ये देश उनके लिए चारागाह था । अपना राजनीतिक मकसद पूरा करने के लिए नेता कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है । यही गुलाम नबी आजाद है दो दो बार वाशीम से चुनाव लड़ा और केंद्रीय मंत्री भी बने । कुल मिलाकर देश का पूरा हिस्सा मौज के लिए है । पर यहा के लोग जब काश्मीर जाते है तो क्या मिलता है? मौत ? हमारे पैसे मे ये लोग ऐश करे और हमारे जवानो को पत्थर मारे। ऐसे नेता लोगो को पाल कर रखने से क्या मतलब है? ये ऐसे लोग है जिन्होने इस देश के नागरिक पंडित लोगो को कश्मीर से निकाल कर ही दम लिया । पर रोहिंगया मुसलमान को बसाने के लिए उन्हे काश्मीरियत खतरे मे नही दिखती । ये इनका दोगलापन नही तो और क्या है ? कुल मिलाकर इनकी काश्मीरियत सिर्फ धर्म आधारित ही है । आज काश्मीर जिस हालात मे है इसके लिए पूर्ण रूप से कांग्रेस, अब्दुल्ला परिवार और मुफ्ती परिवार जिम्मेदार है । धन्य हो नेहरू जी ऐसा बीज बो दिया जिसको छेड़ने मे सभी दल व नेता की जान पर बन आई है । कम से कम मोदी जी ने घोषणा पत्र मे धारा 370 और 35ए को रखकर इनके नेताओ को अहसास तो करवा ही दिया कि कश्मीर अभी भी भारत का अभिन्न हिस्सा है । देखो आगे चलकर क्या होता है । आगे कभी ।
लेखक डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ

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