www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फल-फूल और सब्जी प्रदर्शनी का किया समापन।

Ad 1


Positive India:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज शाम यहां गांधी उद्यान में आयोजित राज्य स्तरीय तीन दिवसीय फल-फूल और सब्जी प्रदर्शनी के समापन समारोह को सम्बोधित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को पुरस्कार भी वितरित किए। भूपेश बघेल ने कहा – आजकल वनों में चिड़ियों का चहचहाना कम हो गया है, जो हम सबके लिए चिन्ता की बात है। उन्होंने कहा-कई कारणों से जंगली पशु-पक्षियों के लिए वहां प्राकृतिक भोजन का अभाव देखा जा रहा है। इससे कई वन्य प्राणी गांवों और शहरों की ओर आने लगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में अगर हम वनों में आम, अमरूद और खीरा, ककड़ी और कुम्हड़ा आदि के बीजों का छिड़काव करें, तो वन्य प्राणियों के लिए वनों में ही पर्याप्त भोजन उपलब्ध होगा और मानव बस्तियों की ओर उनका आना रूकेगा। मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने जैविक खेती के महत्व और उसकी उपयोगिता का भी उल्लेख किया। उन्होंने गांव-गांव में जैविक खेती और जैविक खाद के उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार भी इसके लिए पूरा सहयोग करेगी। जैविक खेती से साग-सब्जियों और फलों की जो पैदावार होगी, उसे अच्छा बाजार मिल सकता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। प्रदर्शनी का आयोजन ‘प्रकृति की ओर सोसायटी’ द्वारा राज्य सरकार के कृषि विभाग के अंतर्गत उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से किया गया। इसमें प्रदेश के 27 जिलों के एक हजार से ज्यादा किसान प्रतिभागी शामिल हुए।
भूपेश बघेल ने प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों में उद्यानिकी के क्षेत्र में किसानों द्वारा किए जा रहे अच्छे प्रयासों की जानकारी मिलती है और हम सब नई संभावनाओं की ओर बढ़ते हैं। भूपेश बघेल ने प्रदर्शनी की सफलता के लिए आयोजकों को तथा पुरस्कृत प्रतिभागियों को बधाई दी। श्री बघेल ने कहा – छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी विकास की अपार संभावनाएं हैं। जशपुर जिले में चाय और कॉफी की खेती के लिए वातावरण बहुत अनुकूल पाया गया है। वहां इसकी खेती की जा रही है। केरल और कर्नाटक में पैदा होने वाली काली मिर्च की खेती अब छत्तीसगढ़ में भी होने लगी है। नगरी-सिहावा क्षेत्र में तिखुर की पैदावार प्राकृतिक रूप से होती है। वहीं छत्तीसगढ़ के अनेक क्षेत्रों में हल्दी और अदरक की खेती भी हो रही है। श्री बघेल ने कहा – इस प्रकार की उद्यानिकी फसलों के व्यवसायिक उत्पादन की दिशा में वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वनवासी परिवारों को अगर हम इस प्रकार की उद्यानिकी फसलों के उन्नत बीज उपलब्ध करा दें तो वे इसकी खेती करके अच्छी आमदनी हासिल कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में भी गायों के गोबर को एकत्रित कर उसका उपयोग जैविक खाद बनाने के लिए और बायोगैस संयंत्र के लिए किया जा सकता है। इसके लिए नगरीय निकायों को पहल करनी चाहिए। सरकार उन्हें हरसंभव मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
कृषि उत्पादन आयुक्त और कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव के.डी.पी. राव सहित ‘प्रकृति की ओर सोसायटी’ के अध्यक्ष डॉ. ए.आर. दल्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति एस.के. पाटील तथा बड़ी संख्या में नागरिक और फल-फूल तथा सब्जी उत्पादक किसान उपस्थित थे।

Gatiman Ad Inside News Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.