लगता है कश्मीर में फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने संभल से प्रेरणा ली थी
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India: Dayanand Pandey:
तो क्या कश्मीर में फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने संभल से प्रेरणा ली थी ?
क्यों कि कश्मीर से पहले तो संभल में सब कुछ हो चुका था। अच्छा अगर कहीं उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री इस समय योगी न होते , फ़ारुख़ अब्दुल्ला जैसा कोई होता , अखिलेश यादव ही होता तो क्या संभल का मंज़र आज जैसा ही होता ?
बरसों से बंद कुएं खुद रहे हैं। बरसों से बंद मंदिर खुल रहे हैं। सामूहिक नरसंहार के क़िस्से सुना रहे हैं लोग। बता रहे हैं कि कैसे लोग ज़िंदा जला दिए गए थे। हाथ काट दिए गए। पांव काट दिए गए। गला रेत दिया गया। लोग जान बचा कर भाग गए। पलायन हो गया। पर यह सब तब ख़बर नहीं बना। डी एम तब कोई मुस्लिम था। यह सब देखते हुए भी उस ने कोई कर्फ्यू नहीं लगाया। दंगाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
अब हालिया हुई पत्थरबाजी में शामिल पत्थरबाजों के खिलाफ योगी सरकार ने कार्रवाई क्या शुरू की कि लोग बिना कहे , क्या छत , क्या फुटपाथ , खुद सारे अतिक्रमण तोड़ रहे हैं। सांसद के घर बिजली मीटर लगाने के लिए भारी फ़ोर्स पहुंच रही है। कई मस्जिद बिजली कनेक्शन के पावर सेंटर बने हुए थे। बिना कनेक्शन , बिना मीटर बिजली ज़्यादतर घरों में चल रही थी। नो कनेक्शन , नो बिल। सारी बिजली लाइन लास के खाते में। योगी बता रहे हैं विधानसभा में कि संभल में बयासी प्रतिशत लाइन लास था , बिजली विभाग का। योगी संभल में हुए तब के सामूहिक नरसंहार के क़िस्से भी सुना रहे हैं विधान सभा में। और क्या सपाई , क्या कांग्रेसी सभी ख़ामोश हैं विधान सभा में। पिन ड्राप साइलेंस। नो हल्लागुल्ला। सोचिए कि संभल में हुई एक पत्थरबाज़ी ने जाने कितनी फाइलें खोल दी हैं। अब यह सारे पत्थरबाज , दंगाई जेल में बैठे पछता रहे होंगे कि काश पत्थरबाजी न की होती। जाने कितनी फाइलें खुल गईं। हां , अब कोई अखिलेश , कोई राहुल , कोई प्रियंका संभल जाने का पहाड़ा भी नहीं पढ़ रहा।
कश्मीर फाइल्स जैसी शानदार फ़िल्म बनाने वाले विनोद अग्निहोत्री क्या संभल फाइल्स बनाने पर भी विचार कर सकते हैं ? इस फ़ोटो में मालिनी अवस्थी जी के साथ मैं और विवेक अग्निहोत्री ही हैं। अवसर लखनऊ में उन की फ़िल्म द वैक्सीन वॉर के प्रीमियर का है।
साभार: दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)