भारतीय भ्रष्ट ज्यूडिशरी सिस्टम उस जज के समान है जो अतुल को बर्बाद कर बीवी के नाजायज पोषण में लगा है।
-कुमार एस की कलम से -
Positive India:Kumar S:
अतुल सुभाष ने सुसाइड कर लिया क्योंकि आधुनिक शिक्षा संघर्ष-की-प्रेरणा के सभी द्वार बंद कर देती है।
सभ्य समाज को मजबूरी के क्षणों में यही चरम गांधीवादी तरीका ही याद आता है कि जबभी लेने देने की बात हो, खुद के हक की कुर्बानी दे दो।
अतुल की मार्मिक बातों में से एक यह कि “सिस्टम ऐसा हो गया है कि मेरे ही धन से मेरे शत्रु का पोषण होगा और उससे वह फिर से मेरा धन खींचता रहेगा। इस #अंतहीन_चैन_सर्किल का यही समाधान है कि स्वयं ही पिक्चर से हट जाऊं।”
इससे बुरी, मर्मान्तक और त्रासदी पूर्ण बात कुछ नहीं हो सकती।
विगत 1000 वर्षों से हिन्दू समाज भी इसी सर्किल की यंत्रणा में फंस गया है।
बाहर से आये मुगल अपने साथ घोड़ा और लौ… लेकर ही आये थे और यहाँ के निवासियों के धन से ताजमहल के निर्माता बने रहे।
हिंदुस्तान उनके बाप का नहीं था, न अब है। लेकिन आज भी मुस्लिम समाज की दादागिरी और धौंस देखिए, आधी भूमि हड़पकर भी बिल्कुल अतुल की बीवी जैसा आचरण है और भारतीय भ्रष्ट ज्यूडिशरी सिस्टम उस जज के समान है जो अतुल को बर्बाद कर बीवी के नाजायज पोषण में लगा है।
कांग्रेस और सेक्युलर दलों की भूमिका उस सास के समान है जो अतुल के शोषण में नित्य लाभ कमाती है।
विगत 70 वर्षों से हिन्दू, मुस्लिम और सेक्यूलर दलों के बीच वही हुआ है जो अतुल के साथ हो रहा था।
अतुल के समान ही हिन्दू का भी भविष्य है और वह इसी खूनी यंत्रणा में फंसा हुआ सुसाइड की तरफ धकेला जा रहा है।
दुर्भाग्य से हिन्दू ने भी यह मान लिया है कि बदला लेने या संघर्ष करने की बजाय गांधीवादी तरीका ही निरापद है कि खुद की कुर्बानी दे दी जाय।
यह कितनी अजीब बात है कि भारतीय हिन्दू समाज उन 20 करोड़ जोम्बियों को अपने धन से पाल पोष रहा है जो नित्य ही उसकी बर्बादी का सपना प्रथम दिन से ही देख रहे हैं।
तमाम संवैधानिक प्रावधान इसकी व्यवस्था देते हैं और सेक्युलर सिस्टम तथा वही भ्रष्ट न्याय व्यवस्था इसका नियमन करती है।
किसी एक समुदाय के संसाधनों से पलने वाले दूसरे समुदाय का यह #वर्ल्ड_रेकॉर्ड है।
रेकॉर्ड तो हिन्दुओं की सहनशीलता का भी है। रिकॉर्ड उसकी मूर्खता, उदासीनता, शत्रुबोध की असमर्थता का भी है।
आपके अपने बच्चे आज वामपंथी इकोसिस्टम का घोल पीकर बड़े हो रहे हैं।
अतुल का बच्चा अतुल की बीवी पाल रही है। वह केवल नाम को ही अतुल की बीवी है, उसमें अतुल का कुछ नहीं बचा। आपके देश का केवल नाम ही हिंदुस्तान, यहाँ हिन्दुओं का कुछ भी नहीं है।
जो हिन्दू आज मरणोपरांत अतुल को यह शिक्षा दे रहे हैं कि आत्महत्या समाधान नहीं, मरना ही था तो कुछ “करके” मरते, वे हिन्दुओं के सुसाइड मिशन पर क्या कहेंगे?
साभार:कुमार एस-(ये लेखक के अपने विचार हैं)