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कुछ बाते कभी भूली नहीं जानी चाहिए

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से -

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Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
हमें याद रहना चाहिए कि सन 1528 में एक क्रूर, असभ्य, अभद्र आतंकवादी ने अयोध्या में महाराज विजयचन्द( कन्नौज नरेश जयचंद के पिता! मन्दिर जयचन्द की देखरेख में तैयार हुआ था) द्वारा बनवाया गया राममंदिर तोड़ कर उसके मलबे से एक इमारत खड़ी की थी, और हमें यह भी याद रहना चाहिए कि उसदिन के लगभग साढ़े चार सौ वर्षों बाद आज ही के दिन कुछ योद्धाओं ने अपनी जान पर खेल कर सभ्यता के माथे पर लगा कलंक धोया था।

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हमें याद रहना चाहिए कि अतिसाहिष्णु सभ्यताएँ जल्द मर जाती हैं, जैसे फारस समाप्त हो गया, जैसे मध्य एशिया के बौद्घ समाप्त हो गए… और हमें याद रहना चाहिए कि सबसे अधिक आक्रमणों को सहने के बाद भी हमारी सनातन सभ्यता पुष्पित, पल्लवित हो रही है क्योंकि हमारे पूर्वज अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपने राष्ट्र के लिए लड़ना जानते थे, मरना जानते थे। हमने कभी अहिंसा के नाम पर युद्ध से भागने वाले कायरों को नहीं पूजा, हमने सदैव राम कृष्ण जैसे योद्धा देवताओं को पूजा है। हमने अर्जुन, भीम, प्रताप, शिवा, भगत और आजाद जैसे नायकों को पूजा है, हमने पद्मावती और लक्ष्मीबाई जैसी देवियों को पूजा है। सभ्यताएँ सहिष्णुता से नहीं, शौर्य और बलिदान की शक्ति से जीवित रहती हैं।

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हमें याद रहना चाहिए कि हम कभी धर्मनिरपेक्ष नहीं रहे। हम धार्मिक थे, विशुद्ध धार्मिक… हमारा सम्पूर्ण जीवन धर्म पर आधारित था, यहाँ तक कि हम खेती-किसानी भी धर्म के आधार पर करते थे। धर्म से निरपेक्ष होना हमारे लिए पतित होने के समान था, है, और रहेगा..

हमें याद रहना चाहिये कि हम सृष्टि की सबसे प्राचीन सभ्यता हैं। जब कोई नहीं था तब भी हम थे, हम आज भी हैं और हजारों वर्षों बाद भी रहेंगे। क्योंकि आज भी केवल हमीं हैं जो प्राकृतिक हैं। हम व्यक्तिपूजक नहीं, प्रकृति पूजक हैं। जैसे प्रकृति हर संकट का हल स्वयं को थोड़ा बदल कर निकाल लेती है, उसी तरह हम भी हर संकट के समय स्वयं को थोड़ा बदल कर संकट का हल निकाल लेते हैं। जबतक प्रकृति रहेगी, हम रहेंगे। कोई शक नहीं, कोई संदेह नहीं…

हमें याद रहना चाहिए कि हमें आयातित विचारों के नशे में पागल हो कर अपने ही देश, धर्म और संस्कृति पर प्रहार करने वाले मूर्खों के तर्कों में नहीं फँसना है। हम उनके हाथ में अपने देश की बागडोर नहीं दे सकते। यह देश हमारा है, हमारे बाप का है। हाँ! हिंदुस्तान हमारे बाप का है…

हमें याद रहना चाहिए कि हजारों वर्षों के इतिहास में किसने हमारे साथ क्या व्यवहार किया है। जिसने बार बार हमारी सभ्यता को चोट दी है, वह हमारा दोस्त नहीं हो सकता। हम कभी उसपर विश्वास नहीं कर सकते।

हमारे घर में असँख्य परेशानियां हैं और आगे भी रहेंगी। हम उन परेशानियों से लड़ेंगे, हम सरकारों से लड़ेंगे, हजार बार लड़ेंगे। हमें लड़ना ही चाहिए। पर अपनी लड़ाई में हम किसी शत्रु के लिए दुर्ग का दरवाजा नहीं खोल सकते। हम किसी शत्रु को अपनी लड़ाई से फायदा उठाने का मौका नहीं दे सकते। हमें याद रखना होगा कि शत्रु सदैव शत्रु ही होता है, कभी मित्र नहीं होता।

कुछ बातें कभी भूली नहीं जानी चाहिए। हमें याद रखना होगा…

साभार:सर्वेश तिवारी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

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