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कश्मीर: वो सत्ता में उसी को बैठाएगी,जो गज़वा ए हिंद के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा

-तत्वज्ञ की कलम से-

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Positive India:Tatvagya:
कश्मीर का रिजल्ट ये बताता है कि,कुछ भी कर लो,कौम अपनी कौम को ही चुनेगी,उसे विकास से एक रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता,वो सत्ता में उसी को बैठाएगी,जो गज़वा ए हिंद के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा,उसके लिए उसका विकास,महत्वपूर्ण नहीं,वो कहेंगे,”आपने किया,अच्छा है,किया तो किया,पर चुनेंगे हम आपको नहीं,क्योंकि,आप काफ़िर हो,और आपका एजेंडा,हमारे नबी की बातों से,मैच नहीं करता।

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बहुसंख्यक सेक्युलर हिंदू भी समझ ले,वो समझेगा,तभी उसका शीर्ष नेतृत्व भी समझेगा,जैसी प्रजा,वैसा नेता,तैयारी कितनी है गृह युद्ध की?कितने बच्चों को सेल्फ डिफेंस सिखाया है हिंदुओं ने इन 10 वर्षों में?लड़ पाने के लिए कितने तैयार हुए हैं,आपके मोहल्लों में?मोहल्लों में निकलिए,कितने लड़के रील की दुनिया से निकल,रियल के आने वाले युद्ध के लिए तैयार हैं,उन स्मार्ट फोन पर रील देखने वालों में से कितने,न्यूज़ पढ़ते हैं?कितनों को पता है कि,संसार में हो क्या रहा है एक्चुअली?उनको ये भी पता है कि,उनके अपने मोहल्ले में,क्या हो रहा है?या बस वो विदेशी बैंड “कोल्ड प्ले” के टिकट के लिए,और आईफोन 16 के लिए,हैरान परेशान घूम रहे हैं?कितने बच्चे पब जी और बैटल ग्राउंड गेम से,बाहर निकल,युद्ध की स्ट्रेटजी बनाने के लिए तैयार हैं?आप,कौम वाले मोहल्लों में जाएं,क्या मिलेगा?

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प्रश्नों में ही उत्तर छिपा है..

युद्ध के लिए,जब तैयार नहीं होते लोग,तो युद्ध टालने का प्रयास करते हैं,ताकि तैयारी पूरी हो पाए,पर यहां युद्ध तो टलता दिख नहीं रहा,और तैयारी नाम मात्र की है..

हे अर्जुन,कितना युद्ध टालोगे?
युद्ध तुम्हारे द्वार तक,आ जाएगा..
आ ही गया,समझो..

बहुसंख्यक हिंदू एकजुट होता है,भीड़ लगाता है,किस लिए?दर्शन करके,व्यक्तिगत लाभ के लिए,या बस एंजॉयमेंट के लिए,त्योहारों में भीड़ क्यों निकलती है इतनी?हृदय को रोकने वाली आवाज़ में 1000 से अधिक स्पीकर लगाकर,हिंदू क्या कर रहा है?नशे में धुत,कंट्रासेप्टिव पिल्स जेबों में,पर्स में भरे उसके बच्चे,बंबल डेट्स पर अजनबियों के साथ,डांडिया नाइट्स में क्या कर रहे हैं?

कितने हिंदू,रोज़ एक जुट होते हैं?
कितने हिंदू हफ्ते में,एक जुट होते हैं?

वो हर जुम्मे पर एक जुट होते हैं..
और आप हर मंगलवार भी,बहाना मार लेते हैं..
आप तो रविवार भी,नहीं जाते एक जुट होने..
एक जुट होकर करते भी क्या हैं?
अपने ही परिवार वालों की बुराई,कभी पति की,कभी पत्नी की,कभी सास की,कभी अपनी संतानों की,कभी पड़ोसी की,कभी क्रिकेट टीम की,कभी नेता की,कभी अभिनेता की,चाय नाश्ता किया और वापस…

हो गई जी मीटिंग,हो गई जी चर्चा..
आ गई जी जागृति,जाग गया जी हिंदू..

रात रात जगाने वाले जगरातों तक में,
तो जाग रहा नहीं हिंदू,ऐसे जागेगा?

कब्जाधारी कौम में पांच वक्त के नमाज़ियों की संख्या बहुतायत में है,और अब बढ़ती ही जा रही है,उनके बच्चे बच्चे को कुरान और हदीस की आयतें रटी हुई हैं,आपके बच्चों को संस्कृत तक बोलने में तकलीफ़ होती है,गीता के श्लोक और वाल्मिकी रामायण के श्लोक तो दूर की बात है,महाभारत आप पढ़ने नहीं देते,क्योंकि किसी मूर्ख हिंदू या किसी बहुत चालाक विधर्मी ने ये कॉन्सेप्ट आपके दिमाग में भर दिया कि,महाभारत रखने से घर में क्लेश हो रहे हैं,जिन घरों में महाभारत है नहीं वहां तो घर के घर ही कब्जिया लिए जा रहे हैं कौम वालों द्वारा..

महाभारत आपको युद्ध के लिए,कपटी शकुनियों के लिए तैयार करती है,पर नहीं,हिंदू को तो चाहिए शांति और शांति प्रिय कौम से मोहब्बत,पर हिंदू भूल जाता है,शांति,युद्ध के पश्चात ही स्थापित होती है…

एग्जाम्पल,गुजरात..

जाइए उत्सव मनाइए,सनातन सभ्यता में उत्सव मनाने पर कोई रोक नहीं,हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण धर्म है,पर स्मरण रखिए,ये उत्सव भी,तभी तक आप मना पाएंगे,जब तक आप लड़ पाने में,सक्षम होंगे या बहुसंख्यक होंगे,अब देखिए,जहां जहां आपकी संख्या के बराबर,कौम बढ़ रही है,वहां आप त्योहार मना पा रहे हैं?जहां उनकी संख्या आपकी संख्या से बढ़ चुकी है,वहां क्या कर पा रहे हैं?बांग्लादेश में क्या कर पा रहे हैं हिंदू इस वक्त नवरात्र में,उनको रोज़ क्या धमकियां दी जा रही हैं?

तैयारी कहां हैं बंधु?

चीटियों में भी लड़ने की,अपनी कॉलोनी को बचाने के लिए,एक व्यवस्था बनी हुई है,सोल्जर एंट्स का काम ही होता है,चींटियों की कॉलोनी के द्वार की रक्षा करना,वो मर भी जाते हैं,तो भी उनके दांत शत्रु जीव के शरीर में धंसे रहते हैं,सर तन से जुदा हो भी जाता है,तो भी उनकी देह का वो कटा हुआ भाग लड़ना नहीं त्यागता,अपनी प्रजाति को,अपने परिवार को बचाने की प्रवृत्ति अनेकों जीवों की प्रजाति में मिल जाती है,पर मानव होकर भी,जो सीखना न चाहे,वो हिंदू..

सीखिए,नहीं तो मिट जाइए..
सृष्टि आप से तंग है,आपके आराध्य आपसे तंग हैं..
आपके देवता आप पर क्रोधित हैं,आपकी देवियां आप से दुःखी हैं,और आप हैं कि..

नीति ही नियति बनती है..
विदुर की नीति अपनाइए,
और हो सके तो समय रहते,
अपनी नियति बदलिए..

शठे शाठ्यम समाचरेत् .!

लेखक:✒️ :-तत्वज्ञ देवस्य-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
आश्विन शुक्ला षष्ठी
नवरात्रि🙏🏻🔱🚩
🌝 बुधवार, ९ अक्टूबर २०२४
विक्रम संवत् २०८१
@highlight

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