अगर वक्फ को रोका नहीं गया तो इसे ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह पाँव पसारते देर नहीं लगेगी
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India: Rajkamal Goswami:
भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा कुछ सदी पहले मुसलमानों के क़ब्ज़े में था । उस हिस्से में मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा सभी कुछ थे तो मुसलमानों का उस पर हक़ तो हिस्ट्री से साबित है । फिर जो मुसलमान यहाँ से पाकिस्तान चले गये वे बड़ी होशियारी से अपनी सम्पत्ति का वक़्फ़ बना गए । हमदर्द के दो मालिकों में से एक पाकिस्तान चले गये जहां वे रूह अफ़्ज़ा का उत्पादन कर रहे हैं और भारत में हमदर्द के अपने हिस्से का वक़्फ़ बना दिया ।
अब जब वक़्फ़ बोर्ड को केवल प्रतीत होना ही काफ़ी है किसी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने के लिए तो उनके लिए हिंदुस्तान की किसी ज़मीन पर दावा करना मुश्किल नहीं है । फ़ैसला भी उन्हीं को करना है । जैसे-जैसे हिम्मत बढ़ेगी ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह पाँव पसारते देर नहीं लगेगी उन्हें । बस सरकार का उनकी पीठ पर हाथ होने की देर है ।
लोकतंत्र वहीं सफल होते हैं जहाँ लोग देश के लिए सोचते हैं । न नेता न अफ़सर न जनता किसी के पास देशहित सोचने की फ़ुरसत ही नहीं है । अपनी जातियाँ अपना धर्म अपने लोग बस यहीं तक सीमित है सोच ।
जिन्हें देश पर क़ब्ज़ा करना है उनकी रणनीति बिलकुल स्पष्ट है । अंग्रेज़ अपनी विशुद्ध दूरदृष्टि और लक्ष्य के प्रति समर्पण के कारण ही भारत पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब हो सके थे ।
कुछ वर्षों के लिए इस वेस्टमिन्स्टर सिस्टम वाले लोकतंत्र को निलंबित करने की ज़रूरत है । हालात सुधरेंगे तो हम भारतीय शैली का अपना लोकतंत्र बनायेंगे ।
राजकमल गोस्वामी