www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

पैरों से तीर चला कर ओलंपिक मेडल जीतने वाली शीतल देवी आदर्श है अपनी पीढ़ी के लिए

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

Ad 1

Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
इस लड़की की तस्वीरें अपने आप में इतनी प्रभावशाली हैं कि दर्जनों मोटिवेशनल स्पीकर इनकी बराबरी नहीं कर सकते। ओलम्पिक में पदक जीतना बाद की बात है, पर एक लड़की जिसके दोनों हाथ नहीं है, उसका तीरंदाजी के बारे में सोच लेना ही अद्भुत है।

Gatiman Ad Inside News Ad

मैंने दर्जनों बार देखा उसका वीडियो। उसका धैर्य, उसका आत्मविश्वास, उसकी एकाग्रता! यह अद्भुत ही है। मात्र सत्रह वर्ष की आयु में पैरों से तीर चला कर सटीक लक्ष्य भेदने वाली शीतल देवी आदर्श है अपनी पीढ़ी के लिए। इस लड़की का ओलंपिक ब्रॉन्ज मैडल बहुत बड़ा है, बहुत ही बड़ा।

Naryana Health Ad

हमारे देश में किसी भी व्यक्ति की शारीरिक अक्षमता मजाक बनती रही है, और यह मजाक इतना सामान्य हो जाता है कि लोग इसे बुरा तक नहीं मानते। हम देखते रहे हैं, किसी की आंखें छोटी बड़ी हो जाँय तो उसे अन्हरा, कनडेढ़ा, डेढ़-लाइट, चसमल्ली, और जाने क्या क्या कहने लगते हैं। इस तरह उस व्यक्ति का आत्मविश्वास इतना गिर जाता है कि वह कुछ बेहतर करने की सोच भी नहीं पाता। ऐसी दशा में 95% लोग जीवन को किसी तरह काट लेने की सोचते हैं।

यह सामाजिक भेदभाव इतना अधिक है कि वह अधिकांश दिव्यंगों को भिखमंगा बना देता है। आप देखते होंगे चौक-चौराहे पर, मेला-बाजार में, तीर्थों में, नदी के घाट पर दिव्यांगों को भीख मांगते। यह उनका दोष नहीं है, समाज उन्हें यह भरोसा दे ही नहीं पाता कि वे कुछ बेहतर भी कर सकते हैं।

ऐसे में एक लड़की जिसके दोनों हाथ नहीं है, उसने ओलंपिक के पदक मंच तक पहुँचने के लिए कितना संघर्ष किया होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उसका तीरंदाजी करने की सोच लेना और उस पथ पर आगे बढ़ जाना बहुत ही कठिन रहा होगा। न केवल उसके लिए, बल्कि उसके माता-पिता और पूरे परिवार के लिए। ऐसे खिलाड़ियों का परिवार भी नमन के योग्य है।

मेरे हिसाब से वह लड़की उसी दिन से विजेता है, जिस दिन उसने अपने पैरों से धनुष उठाना सीख लिया था। ओलंपिक का पदक तो उसकी बड़ी यात्रा का एक सुखद पड़ाव भर है।

साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.