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दो दो ओलंपिक गोल्ड जीतने वाली अवनी के साथ साथ देश को भी बधाई।

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

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Positive India: Sarvesh Kumar Tiwari:
22 साल की यह लड़की चल नहीं सकती, अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती, क्योंकि इसके पैर हो कर भी नहीं होने के बराबर हैं। ग्यारह वर्ष की आयु में हुई एक दुर्घटना में इन्हें लकवा मार गया, और आधा शरीर बेकार हो गया।

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अर्धांग के मरीजों का जीवन कितना कष्टप्रद होता है, यह बताने की बात नहीं। जब व्यक्ति अपने दैनिक कार्य भी स्वयं से न कर पाए तो आत्मविश्वास डगमगाता ही है। कई बार व्यक्ति अवसाद में डूबता चला जाता है। इस लड़की के साथ भी ऐसा हुआ ही होगा।

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पर वो शेर है न, “कुछ लोग थे जो वक्त के साँचे में ढल गए, कुछ लोग थे जो वक्त के साँचे बदल गए।” तो यह लड़की भी वक्त के सांचों को बदलने वालों में से थी। शरीर की कमजोरी को उसने शरीर तक ही रखा, मन तक नहीं पहुँचने दिया।

विपरीत परिस्थितियों में कुछ अच्छा करने के लिए व्यक्ति को पहले अपने आप से लड़ना पड़ता है। समाज हर पल उसे उसकी कमजोरी का एहसास दिलाता रहता है। कभी मजाक उड़ा कर, तो कभी एक्स्ट्रा सहानुभूति दिखा कर। ऐसे में सबसे पहले उसे अपने कमतर होने के एहसास को हराना पड़ता है, फिर अपनी कमजोरी को हराना पड़ता है, और तब वह संघर्ष के मैदान में उतर पाता है। इस लड़की ने भी वही किया।

जिस आयु में मन सपनों की उड़ान भरता है, उस आयु में इसने भी सपने देखे। सपने देखते समय यह अपनी शारीरिक अक्षमता से तनिक भी भयभीत नहीं हुई। कहते हैं, ईश्वर जब कुछ छीनता है तो बदले में कुछ दे भी देता है। इस लड़की को मिले वैसे पिता जो इसके सपनों को लेकर इससे भी अधिक समर्पित थे। जो हर पग पर उसके साथ खड़े थे।

लड़की ने पहले तीरंदाजी सीखी, और फिर शूटिंग। स्कूल के दिनों में ही पदक जीतने लगी। तब अभिनव बिंद्रा तब ओलंपिक में स्वर्ण पदक लेकर युवाओं के आदर्श बने हुए थे, यह लड़की भी उन्हें अपना आदर्श मानती थी।

इस बीच पढ़ाई भी चल रही थी, और बढ़िया चल रही थी। पढ़ाई में न बीमारी बाधा बनी, न शूटिंग का शौक। वे अच्छे नम्बरों से पास होती रहीं।

फिर आया 2020, निष्ठा से अपने काम पर डटे रहने वालों को ईश्वर आगे बढ़ने का मौका अवश्य ही देता है। इसे भी भारत की ओर से पैरालम्पिक खेलों में जाने का मौका मिला। लड़की गयी और पहली ही स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया। देश एक झटके में जान गया कि
कोई अवनी लेखरा नाम की लड़की है जो…
2020 पैरालम्पिक में गोल्ड जीत कर वह उन्होंने भारत की ओर से गोल्ड जीतने वाली पहली महिला होने का रिकार्ड बनाया। फिर उसी ओलंपिक में एक और कांस्य पदक जीतने के बाद दो ओलंपिक पदक पाने वाली पहली महिला बनीं। और कल 2024 पैरालम्पिक में फिर गोल्ड जीतने के बाद वे भारत की ओर से दो गोल्ड जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनी हैं।

अवनी जैसी लड़कियां हर समाज की जरूरत हैं। विपत्ति के मारे लोगों को अवनी जैसी लड़कियों की कहानी नया जीवन देती है। ऐसी कहानियां कही-सुनी जानी चाहिये।
अवनी के साथ साथ देश को भी बधाई।

साभार:सर्वेश तिवारी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

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