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क्या भाजपा का थिंक टैंक पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुका है?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
भारतीय संविधान की जो छीछालेदर कांग्रेस ने ४२वें संशोधन में की थी उसका असर आज तक संविधान के ऊपर से गया नहीं है मगर फिर भी २०२४ में कांग्रेस ने संविधान बचाने को मुद्दा बना कर भाजपा के सर पर फोड़ दिया और भाजपा वाले किंकर्तव्यविमूढ़ होकर अपना सत्यानाश होते हुए देखते रह गये ।
भाजपा का थिंक टैंक पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुके गांधी नेहरू के चरित्रहनन में ही लगा रहा । घिसे पिटे पुराने मुद्दे जो उस दौर में भी नहीं चल सके उन्हीं पर ज़ोर आजमाइश करता रहा और हिंदी पट्टी में कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन चोट पहुंचा गया ।

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जनता की सामूहिक चेतना बड़ी भुलक्कड़ होती है उसे बार बार याद दिलाना होता है पर भाजपा में इतने बहिरागत आ घुसे हैं कि पार्टी नेतृत्व इन अवसरवादियों के आ जाने से ही खुश और संतुष्ट है ।

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क्या किसी को याद है कि ४२वें संशोधन ने न्यायपालिका के पर पूरी तरह कतर दिये थे । मौलिक अधिकारों पर केंद्रीय कानून को कम से कम ७ जजों की पीठ द्वारा दो तिहाई बहुमत से ही पलटा जा सकता था । हाईकोर्ट केंद्रीय कानूनों के विरुद्ध निर्णय नहीं कर सकता था और राज्य सरकारों के कानूनों को भी कम से कम पाँच जजों की पीठ दो तिहाई बहुमत से ही पलट सकती थी । जनता पार्टी ने ४३वें संशोधन से न्यायपालिका की शक्तियाँ बहाल कीं ।
४४वें संशोधन से जनता पार्टी नें आंतरिक आपात् काल का प्राविधान ही हटा दिया वरना ममता बनर्जी इतनी ढीठ न हो जातीं अब तक उनकी सरकार बर्खास्त करके कानून व्यवस्था बहाल कर दी जाती ।

संविधान की प्रस्तावना तो इंदिरा जी ने बिलकुल ही चौपट कर दी । धर्मनिरपेक्षता घुसाई साथ में समाजवाद भी घुसा दिया जो आज सम्पूर्ण विश्व में पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुका है । भला संविधान पारित हो जाने के बाद प्रस्तावना बदले जाने का क्या तुक था । अब इस प्रस्तावना को हमें निरंतर ढोना है ।

ध्रुव राठी ने विदेश में बैठ कर जब अपने तरकश से तीर चलाने शुरू किये तो भाजपा आईटी सेल स्तब्ध रह गया । बहुतों को तो कोई जवाब ही नहीं सूझा क्योंकि उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि उन्हें जवाब भी देना पड़ सकता है । स्वस्थ आलोचना न भाजपा ने कभी की और न अपने संगठन में विकसित होने दी । वही पप्पू वही वंशवाद वही नेहरू वही फिरोज़ ख़ान और मैमूना बेगम । मुद्दों पर न कोई बात न तैयारी । जो बोले सो देशद्रोही ।

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साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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