पाकिस्तान में रावी नदी पर बने नए पुल पर मोदी की गाज क्यों गिर गई?
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India: Rajkamal Goswami:
३१ दिसंबर १९२९ में लाहौर में रावी नदी के तट पर तिरंगा फहरा कर पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की गई थी और २६ जनवरी १९३० से प्रतिवर्ष देश में पूर्ण स्वराज्य दिवस मनाया जाने लगा जो तब तक मनाया जाता रहा जब तक कि आधा अधूरा ही सही पर भारत को सन ४७ में स्वराज्य प्राप्त नहीं हो गया ।
पूर्ण स्वराज्य की साक्षी रावी नदी दुर्भाग्य से बँटवारे में पाकिस्तान में रह गई पर सन ६० में पाकिस्तान के साथ जल संधि में पंजाब की तीन नदियाँ रावी सतलज और व्यास का जल पूरी तरह भारत के हिस्से में आया और इस तरह रावी नदी काग़ज़ में भारत को मिल गई । बड़े संतोष की बात है भारत ने रावी नदी पर शाहपुर कंडी में बराज का काम पूरा कर लिया है और अब रावी का पानी पूरी तरह भारत इस्तेमाल कर सकेगा । रावी जल से पंजाब में हज़ारों एकड़ ज़मीन की सिंचाई संभव हो सकेगी ।
दूसरी ओर पाकिस्तान ख़ास कर लाहौर और समीपवर्ती क्षेत्रों में त्राहि त्राहि मच जायेगी । लाहौर तो रावी तट पर ही बसा हुआ है । सिंधु जल संधि पाकिस्तान के साथ चार चार युद्धों के बाद भी नहीं टूटी और युद्धकाल में भी पानी को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ तो इसके पीछे भारत की उदारता ही रही कि उसने अपने हिस्से का पानी भी पाकिस्तान में बह जाने दिया । लाहौर के लिए रावी का वही महत्व है जो दिल्ली के लिए यमुना का और अहमदाबाद के लिए साबरमती का है ।
अभी अभी तो पाकिस्तान ने रावी पर नया पुल बनवाया है जिसका उद्घाटन होना शेष है तब तक मोदी जी गाज रावी पर गिर गई । अब भारत रावी के जल का अंतिम बूँद तक दोहन करने में सक्षम होगा ।
हर हर मोदी
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
चित्र में नया रावी पुल इंटरनेट से