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नेहरू का इतना विरोध क्यों है ?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India : Rajkamal Goswami:
नेहरू का इतना विरोध क्यों है ? इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए और संभवतः भविष्य में यह प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सर्वाधिक पूछा जाने वाला प्रश्न होगा । इस पर शोध होंगे ।

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यदि हम नेहरू विहीन भारत की कल्पना करें तो शायद इस प्रश्न का उत्तर खोज सकते हैं ।

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तब शायद ज़मींदारी उन्मूलन न हुआ होता , पाकिस्तान में भुट्टो परिवार के पास ढाई लाख एकड़ ज़मीन है जिसमें से तेरह रेलवे स्टेशन होकर गुज़रते हैं । शायद ऐसे भूमिधर भारत में भी होते ।
तब हिंदू कोड बिल न पारित हुआ होता और हिंदू धनी पुरुष जितनी चाहे उतनी शादियाँ कर सकता । नेहरू ने स्वयं पुत्रेष्णा से ग्रस्त होकर दूसरी शादी नहीं की उसी तरह सारे हिंदुओं को बहुविवाह से वंचित कर दिया ।

देश का बँटवारा शायद न होता और जिन्ना प्रधानमंत्री बन जाते और अगर होता तो हिंदू मुस्लिम आबादी की ज़बरन अदला बदली होती ।

नेहरू न होते तो इंदिरा राजीव और राहुल भी न होते । देश को बहुत सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता । गुट निरपेक्षता की नीति भी न होती । या तो भारत अमेरिकी गुट में शामिल हो कर इस्राइल बन गया होता या रूसी गुट में शामिल होकर उत्तर कोरिया जैसा कुछ अलग तरह का देश होता ।

जन्मदिन पर पुण्य स्मरण

हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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