Positive India: Dayanand Pandey:
जिन लोगों को लालू यादव राज के जंगल राज की याद नहीं है , उस का अनुमान नहीं है , उन के लिए एक घटना का ज़िक्र ही काफी है। लालू यादव को चारा घोटाले में अभियुक्त बना कर जब पटना हाई कोर्ट ने गिरफ्तार करने को कहा तो बिहार पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। लालू अपना राजपाट पत्नी राबड़ी देवी को मुख्य मंत्री बनवा कर सौंप चुके थे। कुल मिला कर यह कि लालू राज चालू था। फिर बिहार पुलिस को लालू यादव की गिरफ्तारी पर भारी हिंसा की आशंका थी।
सो बिहार पुलिस ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए , लालू यादव की गिरफ्तारी के लिए सेना की मदद मांगी। लिखित चिट्ठी लिख कर मांगी। बताया कि हालत बहुत ज़्यादा बिगड़ सकते हैं। युद्ध जैसे हालात हो सकते हैं। इस लिए सेना की मदद ज़रूरी है। सेना के ब्रिगेडियर ने जब यह चिट्ठी देखी तो सकते में आ गए। पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को फोन कर यह बात बताई और पूछा कि क्या सेना भेज दें ? चीफ जस्टिस ने कहा , ज़रूर भेज दें। फिर पटना में भारी सेना की तैनाती हो गई।
जब कई कंपनी सेना तैनात हो गई तब लालू के घर से उन्हें गिरफ्तार किया गया। भारी सेना देख कर यादव ब्रिगेड के लोगों को सांप सूंघ गया। लालू की गिरफ्तारी पर पत्ता भी नहीं खड़का। मुलायम सिंह के शब्दों में कहा जाए तो परिंदा भी पर नहीं मार सका। लालू जेल पहुंच गए। पर अगर सेना न आई होती तो तय मानिए लालू को जेल ले जा पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर थी।
यह अनायास नहीं था कि नीतीश कुमार जब एन डी ए छोड़ कर पिछले कार्यकाल में लालू यादव से हाथ मिला कर मुख्य मंत्री बने तो आज तक के स्टूडियो में पुण्य प्रसून वाजपेयी नीतीश कुमार से इंटरव्यू कर रहे थे और बीच इंटरव्यू में आज तक की रिपोर्टर श्वेता सिंह नीतीश कुमार से पूछ रही थीं कि क्या गारंटी है कि वह जंगल राज फिर से नहीं लौट आएगा। नीतीश से यह सवाल पूछते हुए श्वेता सिंह कांप रही थीं और बता रही थीं कि लालू के जंगल राज में घर से निकलना तो दूर घर की छत पर भी जाने में डर लगता था। नीतीश ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा था , यह सब बिलकुल नहीं होगा। गौरतलब है कि श्वेता सिंह बिहार की ही हैं। पुण्य प्रसून वाजपेयी भी पटना के ही हैं। पर वह यह सवाल नहीं पूछ पाए थे।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)