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क्या अटल जी भी पुराने भारत के मोदी ही हैं?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
फिलिस्तीन पर अटल जी का बयान बहुत पसंद आ रहा है। इसलिए वे बहुत याद किया जा रहे हैं। यह जानते हुए कि नया भारत मोदी का भारत है, नए भारत का स्टैंड राष्ट्र प्रथम के मुद्दे से एक तिनका भी समझौता नहीं कर सकता। इसमें अटल जी के बयान की अवमानना नहीं है, बल्कि पुराने भारत से नया भारत किस प्रकार अलग है, उसकी एक स्पष्ट अंतर रेखा है।

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अटल जी भी पुराने भारत के मोदी ही हैं। क्योंकि जिस समय देश में उन्हें शासन की जिम्मेदारी मिली, उस समय सत्ता भले लोकतंत्र के टमटम पर चढ़कर बदल गई हो, लेकिन देश चलाने वाला न ही तंत्र बदला था, और न ही सरकार चलाने वाला यंत्र। संसद का आधा हिस्सा राज्यसभा तो उसी प्रकार अनबदला सा था और देश भर के विधानसभाओं की तस्वीर कौन सी बदल गई थी? न्याय तंत्र में बैठे लोग और मीडिया पर कब्जा किए हुए दरबारी पत्रकारों का ब्रिगेड? और देश की जनता.. जनता का क्या कहना! जब वंशवाद की शेखी से उत्पन्न चकाचौंध में उनकी आंखें थक जाती थी, तब वे कुछ पल के लिए कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर देती थी। ताकि थोड़ा विश्राम मिल जाए। ऐसे में अटल जैसी ही कोई शख्सियत हो सकते हैं जिन्होंने इतनी सफलतापूर्वक अपने शासनकाल को निभाया। कि राजनीति के पक्ष विपक्ष हर हिस्से में उनका उल्लेख आज भी जरूरी हो जाता है। आगे भी होगा।

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अटल जी ने राजनीति के परंपरागत पर्यावरण में बिना किसी उधेड़बुनके ज्यों का त्यों रखकर शासन चला कर दिखाया और अपने अन्तिम सिद्धांतों से भी कभी समझौता नहीं किया। उनकी आवाज हमेशा बुलंद रही। क्योंकि समकालीन राजनीति में भारत इतना वक्त भी नहीं बिताया था, कि राजनीति को अचानक से एक नया मोड़ दे दिया जाए। अभी तो भारत की जनता को भी जैसे वंशवाद का अन्तिम दंश झेलना शेष था। और इसी बीच अटल जी को भी भाजपा राजनीति की यूएसपी को भारतीय राजनीति में इंट्रोड्यूस करनी थी। अटल जी ने इसमें बड़ी सफलता पाई। और कालांतर में नए भारत की राजनीति के लिए पर्यावरण में एक बीज बो दिया। जोकि बमुश्किल एक दशक सुषुप्त रहा और अंकुरित हो गया।

नरेंद्र मोदी इन सारे घटनाक्रमों को देखते हुए बड़े हुए हैं। भारत की राजनीति ने जब उन्हें प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए चुना तो उन्होंने सबसे पहले भारत की जनता से क्या मांगा? पूर्ण बहुमत का आशीर्वाद मांगा। ये वही आशीर्वाद है जिसके अभाव में आज के वक्त कनाडा सरकार आतंकवादियों के जब्त में है। यूक्रेन युद्ध झेल रहा है। और इजरायल युद्ध लड़ रहा है। तथा भारत ने भी इसलिए फिलीस्तीन के पक्ष में अपना बयान देना पड़ा था।

मोदी जी ने पहली पंक्ति में देश की जनता जनार्दन से पूर्ण बहुमत का आशीर्वाद मांगा और बदले में विकास देने का वादा किया। आज मोदी जी अपने वादे पर पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ खड़े हैं तो देश की जनता भी उन्हें नाराज नहीं करती। बार-बार उन्हें आशीर्वाद देती है। फिर- संसद की अमूर्त क्या, मूर्त तस्वीर भी बदल दी उन्होंने। और तंत्र यंत्र से लेकर जनता के मंत्र तक सब नए भारत के गवाह बन रहे हैं। राजनीति का पूरा पर्यावरण बदल दिया। तो भी हमें अटल जी के बयान पर अफसोस करने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं हो रही। लेकिन हमें अब नए भारत में जीना अच्छा लगता है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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