हमास की सीमित सफलता भी भारत के लिए एक सबक़ क्यों है?
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India:Rajkamal Goswami:
इस्राइल पर हमास के आक्रमण से यह साबित होता है कि कोई भी रक्षा प्रणाली ऐसी नहीं है कि जिसे भेदा न जा सके । इस विषय में चाणक्य नीति ही ठीक है जो कहती है कि आक्रमण ही सर्वश्रेष्ठ प्रतिरक्षा है वरना शत्रु लंका जैसे अभेद्य दुर्ग और समुद्र जैसी विशाल खाई को पार करके भी लंका दहन कर सकता है ।
जब आप नय्ट हो जायेंगे तो कोई अंतरराष्ट्रीय क़ानून या मानवाधिकार संगठन आपको पुनर्जीवित करने नहीं आने वाला है । इसलिए समय रहते शत्रु को शक्तिशाली होने से पहले समूल नष्ट कर देना ही इस जंगलराज में बचाव का एकमात्र उपाय है ।
भारत को अपनी सीमा पर पचास मीटर की दूरी पर एक और बाड़ लगाने की ज़रूरत है । भारत लाख आर्थिक प्रगति कर ले पाकिस्तान का बच्चा बच्चा भारत और हिंदुओं के प्रति नफ़रत के साथ ही पलता बढ़ता है । उसके अंदर भारत के साथ स्पर्धा का नहीं बल्कि ईर्ष्या का भाव है । ग़ज़वा ए हिंद उसका घोषित लक्ष्य है ।
हमास की यह सीमित सफलता भी हमारे लिए एक सबक़ है । अटलांटिक महासागर से प्रशांत के बीच इस्राइल के बाद भारत दूसरा ग़ैर मुस्लिम देश है जो आतंकियों और उनके समर्थकों के सीधे निशाने पर है । इस्राइल के शहरों में आज कई २६/११ घटित हो रहे हैं । महिला सैनिक तो माले ग़नीमत समझ कर उठा ली गईं हैं । हज़ारों नागरिक बंधक बना लिए गये हैं । कल इस्राइल कैसे प्रतिकार करेगा वह बाद की बात है अभी तो युद्ध में इस्राइल के विपरीत परिस्थियाँ ही दृष्टिगोचर हो रही हैं ।
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)