बालासोर मे हुई रेल दुर्घटना मे राजनैतिक गिद्ध शवों मे भी कुर्सी का रास्ता कैसे खोज रहें है ?
-अजीत सिंह की कलम से-
Positive India:Ajit Singh:
बालासोर मे हुई रेल दुर्घटना मे बचाव और राहत का अभी खत्म भी नहीं हुआ,जांच अभी प्रक्रिया मे है,एक तरफ मृतकों के परिजनों के आँसू पोछने मे सरकार जुटी है लेकिन शवों पर राजनीति करने वाले गिद्दों ने बेशर्मी से इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया,इतनी भी न देखा और न सोचा कि शायद पहले ऐसे अश्वनी जी रेल मंत्री है जो रात दिन घटना स्थल पर बैठ कर एक एक चीज की निगरानी कर रहे हैं।
लेकिन क्या करेंगे लाशों पर राजनीति करने वाले उन गिद्धों का……जो चिताओं की राख को ठंडा भी नहीं होने देते…..सत्ता के लिये बेचैन भूखे गिद्ध….सोचिये आखिर कितने भूखे है ये गिद्ध?
अभी भी कितने ही शव अपने प्रियजनों की प्रतीक्षा में मार्चरी मे पड़े हैं……
लेकिन गिद्धों की भोज चटाई बिछ चुकी है…शवों पर राजनीति करने वाले गिद्धों को दर्द,पीड़ा,आंसू और वेदना से कोई मतलब नही है….उनका भोज तो अभी से शुरू हो गया है..!
इन्ही गिद्धों मे किसी को सेंगोल में अपशकुन दिख रहा है।
कोई नई संसद को अशुभ की महा पराकाष्ठा बता रहा है।
कोई एक भयानक त्रासदी की आड़ में सत्ता के लिए जीभ लपलपा रहा है।
सच तो यह है कि बालासोर का पूरा आसमान ही लाशो को नोचने वाले गिद्धों के महाझुंड से अटा पटा पड़ा है!!!
अफसोस यही गिद्ध हमारे रहनुमा और हमारे नेता बनना चाहते हैं…शब्द नही मिल रहा है कि इन गिद्धों को क्या नाम दूं…!
फिलहाल दु:ख की इस घड़ी मे मै बस इतना ही कहूंगा कि इन गिद्धों को पहचानिये…पहचानिये इनके घड़ियाली आंसुओं को….पहचानिये इन गिद्धों की राजनीति के घटिया स्तर को…समझिये कि जहां ये गिद्ध शवों मे भी कुर्सी का रास्ता खोज रहें है…….वहीं परिवार का मुखिया बनकर मोदी नाम का ये शख्स तब भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा था,आज भी खड़ा है।
ये शख्स शिकायत नही करता,न ही विदेश जाकर छटपटाते दोगले गिद्धों को तवज्जो देता है….बल्कि गिद्धों के पंख काटने के साथ..अपनो पर आये किसी भी संकट मे ढ़ाल बन कर खुद जाकर मौके पर खड़ा होता है…इतना ही नही…मोदी की भाव भंगिमा और बॉडी लैंग्वेज बता रही है कि वो इस दुर्घटना के कारण की जड़ तक जायेंगे और दोषियों को निपटाये बिना मानेंगे नही………..गिद्ध खैर मनायें!!
#वंदेमातरम्
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साभार:अजीत सिंह-(ये लेखक के अपने विचार है)